राजस्थान: सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी नहीं होने से मरीज परेशान, निजी सेंटर कूट रहे चांदी
सीकर न्यूज: सरकारी अस्पताल में मरीजों की सोनोग्राफी नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है. 8 माह से सोनोग्राफी मशीन बंद पड़ी है. मरीजों को मजबूरी में 900 रूपये देकर बाहर से सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है.
नीम का थाना, सीकर: नीमकाथाना राजकीय कपिल जिला अस्पताल में मरीजों की सोनोग्राफी नहीं होने से निजी सोनोग्राफी सेंटर चांदी कूट रहे हैं.गर्भवती महिलाओं को निजी सोनोग्राफी सेंटर से 900 रूपये देकर सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है.
जिला अस्पताल में दिसंबर में सोनोलॉजिस्ट के रिटायरमेंट होने के बाद से ही यहां सोनोलॉजिस्ट का पद खाली चल रहा है.जिसके बाद से ही अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन धूल फांक रही है.हालांकि अस्पताल प्रशासन ने मरीजों को राहत देने के लिए पीपीमोड पर सोनोग्राफी मशीन शुरू की थी. पांच माह पीपीमोड पर सोनोग्राफी चलने के बाद सोनोग्राफी संचालक ने टेंडर को विड्रॉल कर दिया.
मरीजों को बाहर से सोनोग्राफी करवानी पड़ रही
जिससे कि अब पीपी मोड पर भी सोनोग्राफी बंद हो गई और मजबूरी में मरीजों को बाहर से सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है. वही सोनोग्राफी संचालकों द्वारा अपनी यूनियन बनाकर अब मनमर्जी की जा रही है. सोनोग्राफी संचालकों ने 700 रूपये से बढ़कर 900 रूपये तक कर दिए.इसके साथ ही सोनोग्राफि का टेंडर भी कोई नहीं ले रहा. गुड़ा की रहने वाली महिला सुनीता ने बताया कि अस्पताल में सोनोग्राफी नहीं होने से बाहर से मजबूरी में 900 रूपये देकर सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है.
700 रुपए से बढ़ाकर 900 रुपये
नीमकाथाना के रहने वाले राजेश ने बताया कि अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन बंद होने से मरीज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मरीज को 900 रूपये देकर सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि पहले निजी सोनोग्राफी संचालक 700 रुपए लेते थे लेकिन अब निजी सोनोग्राफि संचालक भी अपनी मनमर्जी कर रहे हैं और 700 रुपए से बढ़ाकर 900 कर दिए.
ऐसे में ऐसे में गरीब आदमी कहा सोनोग्राफी करवाए.उन्होंने जल्द से जल्द अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन शुरू करवाने की मांग की जिससे कि मरीज को राहत मिल सके.नीमकाथाना जिला अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर सुमित गर्ग ने बताया कि अस्पताल में दिसंबर माह में सोनोलॉजिस्ट के रिटायरमेंट होने के बाद से ही यहां पद खाली चल रहा है. हालांकि मरीज को राहत देने के लिए मार्च माह से पीपी मोड पर सोनोग्राफी मशीन शुरू की गई थी लेकिन सोनोग्राफी संचालक में टेंडर को विड्रॉल कर दिया.
सोनोग्राफी संचालक द्वारा टेंडर को विड्रॉल करने पर दोबारा से टेंडर निकला. उसके बाद टेंडर प्रक्रिया की 3 दिन की डेट और भी बढ़ाई लेकिन उसके बाद भी किसी भी निजी सोनोग्राफी संचालक ने टेंडर नहीं लिए.
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