सावन से पहले राजस्थान में हुई अनोखी शादी, शिवगण नंदी को मिली गौमाता, रीति रिवाजों के साथ हुआ विवाह
Sikar News: सीकर के फतेहपुर स्थित पिंजरापोल गौशाला में शुक्रवार को वैदिक विधि- विधान के साथ गौ माता और नंदी महाराज का विवाह धूमधाम के साथ करवाया गया. इस विवाह में विधिवत रूप से मंत्रोच्चारण हुए. पांच विद्वान पंडितों के सानिध्य में फेरे हुए.
Sikar News: सीकर के फतेहपुर स्थित पिंजरापोल गौशाला में शुक्रवार को वैदिक विधि- विधान के साथ गौ माता और नंदी महाराज का विवाह धूमधाम के साथ करवाया गया. यह विवाह 5 पंडितों के सानिध्य में विधिवत रूप से मंत्रोच्चारण के साथ गौमाता वह नंदी महाराज का विवाह करवाया गया.
कन्यादान भी किया
गोशाला समिति के सुनील बुबना ने बताया कि गाय और नंदी का विवाह तमाम सनातन वैवाहिक रीति रिवाजों के तहत संपन्न कराया गया.जैसे कि हिन्दूओं में विवाह की परंपरा है. विवाह के मुख्य यजमान दुर्गा प्रसाद, विजयकुमार देवड़ा के परिवारजनों ने धार्मिक विधि-विधान और विवाह के रीति-रिवाजों के अनुरूप पूरी तैयारी की थी तथा विवाह में कन्यादान भी किया गया है.
पिंजरापोल गोशाला में धूमधाम के साथ हुई शादी
धार्मिक कार्यो में गोपूजा करने की परंपरा सनातन संस्कृति में है, लेकिन शुक्रवार को फतेहपुर में एक गाय और नंदी महाराज की शादी रीति रिवाजों के साथ की गयी. फतेहपुर के मंडवा रोड के समीप स्थित पिंजरापोल गोशाला में धूमधाम के साथ गाय और नंदी बैल का विवाह कराया गया.. इस विवाह में विधिवत रूप से मंत्रोच्चारण हुए. पांच विद्वान पंडितों के सानिध्य में फेरे हुए. गोशाला में हुई इस शादी के लिए गौ वृषभ यज्ञ के विद्धान पंडित अमित पुजारी और अन्य 5 पड़ितों को बुलाया गया. कलश और वेदियां बनाई गई, जिस के साथ हवन यज्ञ हुए.
यह है गो विवाह करवाने का कारण
धार्मिक विद्वानों के अनुसार गाय के विवाह का शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं है लेकिन यह विवाह लोगो की भावनाओं का प्रतीक है. जिस परिवार की यह गाय है उसने अपनी उन्हीं श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए ऐसा किया. पंडित अमित पुजारी ने बताया कि गाय और सांड का विवाह पितृ शांति और वंश वृद्धि के लिए करवाया जाता है. विवाह के पश्चात गाय और सांड दोनों को गौशाला में छोड़ दिया गया.
पिंजरापोल समिति के सुनील बुबना ने बताया कि फतेहपुर के मण्डावा रोड़ स्थित फतेहपुर राज पिजरापोल सोसायटी की 1154 गौवशों की गौशाला में से दो गायों और दो नंदियों का विवाह विधिवत रूप से करवाया गया है. जिसमें दूल्हा नंदी (सांड) थारपार नस्ल का है जो की राजस्थान के गंगानगर जिले के सूरतगढ़ से लाया गया है जिससे फतेहपुर की गौशाला में नस्ल सुधार होगा.
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