Sikar, Fatehpur: सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा सिद्ध की आराधना के फल स्वरुप श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान और विश्व शांति महायज्ञ का सोमवार से भव्य आयोजन श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में किया गया. इससे पहले जैन समाज के अनुयायियों द्वारा गाजेबाजे के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली गई. आयोजित शोभायात्रा में जैन समाज के अनेक लोग मौजूद रहे. कमल जैन ने बताया कि 27 फरवरी से 7 मार्च तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुआ अनुष्ठानों का आयोजन किया जाएगा जिसमें फतेहपुर सहित शेखावाटी व प्रवासी जैन बंधु भी शिरकत करेंगे.


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सार- फाल्गुन मास में सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा सिद्धों की आराधना के फलस्वरुप श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान और विश्व शांति महायज्ञ का भव्य आयोजन सोमवार 27 फरवरी से 7 मार्च तक श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में किया जा रहा है. मंत्री व संयोजक सुरेश गोधा ने बताया कि भव्य आयोजन मंदिर में विराजमान अतिशयकारी श्री 1008 महावीर भगवान की वेदी को 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में किया जा रहा है . चौबीस मण्डलीय इस विधान में संयम ,तप , त्याग, साधना के साथ परमेष्ठी भगवंतों की आराधना की जाती है. सीकर के विवेक पाटोदी ने बताया कि इस महामहोत्सव में फतेहपुर सीकर सहित शेखावाटी से जुड़े प्रवासी जैन बंधु देश के विभिन्न क्षेत्रों से सम्मिलित होंगे .


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27 फरवरी से 7 मार्च तक चलेगा जिसमें पहले दिन सोमवार को प्रात: आचार्य निमंत्रण , अभिषेक शांतिधारा के पश्चात ध्वजारोहण होगा . इसके पश्चात घट यात्रा निकाली जाएगी . मोनू गोधा ने बताया कि पांडाल उद्घाटन घट यात्रा तथा ध्वजारोहण कार्यक्रम के पश्चात विधानाचार्य द्वारा अन्य मांगलिक कार्य करते हुए विधान प्रारंभ किया जाएगा.


 सिद्धचक्र मंडल विधान के बारे में जानकारी देते हुए प्रतिष्ठाचार्य पं. प्रदीप शास्त्री मंडावरा ने बताया कि जैन धर्म में अष्टान्हिका पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. सिद्धचक्र महामंडल विधान में प्रथम दिन 8 अर्घ्य मंडल पर समर्पित की जाते हैं, दूसरे दिन 16 और तीसरे दिन 32 चौथे दिन 64 पांचवें दिन 128 छठे दिन 256 सातवें दिन 512 और अंतिम दिन 1024 अर्घ्य समर्पित किए जाते है. सिद्धचक्र महामंडल विधान के बारे में आचार्यों ने बतलाया कि सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य कृत्य, चक्र का अर्थ है समूह और मंडल का अर्थ एक प्रकार के वृताकार यंत्र से है. 


इनमें अनेक प्रकार के मंत्र और बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है. मंत्र शास्त्र के अनुसार, इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट हो जाती है. सिद्धचक्र महामंडल विधान समस्त सिद्ध समूह की आराधना मंडल की साक्षी में की जाती है. जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है. जैन दर्शन में अष्टान्हिका महापर्व का विशेष महत्त्व बतलाया गया है. इस अवसर पर देव लोग भी नंदीश्वर दीप में आकर सिद्ध भगवान की आराधना करते हैं. आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों के तहत आज पहले दिन जैन समाज के लोगो के द्वारा गाजे बाजे के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली गई . इस दौरान जैन समाज के अनेक लोग मौजूद रहे.