Sikar News: देहदान जीवनदान... जी हां, इसी स्लोगन को सीकर के तीन वाशिंदों ने अपनाते हुए एक नजीर पेश की है. पिछले दो महीनों में सीकर के तीन देहदानियों ने देह का दान कर कई लोगों को जीवनदान दिया है.


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सीकर ब्लड डोनेशन प्लाज्मा डोनेशन में अपनी शानदार भूमिका अदा करने के बाद अब देहदान में भी अग्रणी बनता जा रहा है. दरअसल ब्रेन डेड होने के बाद बीते 2 महीनों में सीकर में 3 घायलों के परिवार ने ब्रेन डेड व्यक्ति के ऑर्गन डोनेट करने का फैसला किया. नतीजा यह निकला कि इससे करीब 10 से ज्यादा लोगों को नई जिंदगी मिल गई है, जिसकी चहुंओर भूरी-भूरी प्रशंसा तो हो ही रही है तो प्रशासनिक राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की और से सहयोग जाकर किया. इस देहदान की मुहिम को आगे बढ़ाने की शानदार पहल कर रहे हैं. 


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एक्सीडेंट के बाद किया पिता का देहदान
सीकर जिले के बीते 2 महीने में रिछपाल सिंह, अशोक सैनी और कजोड़मल का देहदान जाकर किया. उनके अंगों से दस से अधिक लोगों को जीवन दिया जा सकेगा. रिछपाल सिंह, अशोक सैनी और कजोड़मल के दिल सहित अंग अन्य लोगो के देह में धड़केंगे और उन्हें जीवनदान मिल सकेगा. बात करे गोकुल का बाद के कजोड़ मल की तो उनका एक्सीडेंट हो गया था. गोकुल का बास निवासी नीतू ने बताया कि उसके पिता कजोड़मल काम पर जा रहे थे. इसी दौरान रास्ते में उनका पिता का एक्सीडेंट हो गया. इलाज के लिए उन्हें जयपुर रेफर किया गया. यहां उनका ब्रेन डेड हो गया, जिसके बाद हम सभी परिवार वालों ने उनके देहदान को डोनेट करने का फैसला लिया हालांकि उनके लिए यह पीड़ादायक था लेकिन डॉक्टर ने उनके जीने की उम्मीदों को नहीं के बराबर बता दिया. ऐसे में परिवार ने उनके देहदान का निर्णय लिया. यह फैसला कलेजे पर पत्थर रख कर लेने से कम नहीं था लेकिन किसी और को जीवनदान मिल सके. इसके लिए चिकित्सकों की सलाह और परिवार की सहमति से यह फैसला लिया और किडनी, लीवर और हार्ट को दान करने का फैसला किया.


परिस्थितियों के चलते देहदान का फैसला किया
सीकर के राधाकिशनपुरा इलाके के रहने वाले चंद्र प्रकाश सैनी ने बताया कि उनके भाई अशोक का 11 जनवरी को सीकर में घर लौटते समय सड़क हादसे में गंभीर एक्सीडेंट हो गया. इलाज के लिए उन्हें सीकर से जयपुर रैफर कर दिया गया. यहां मणिपाल हॉस्पिटल में उसका इलाज चला. इलाज के दौरान 17 जनवरी की सुबह अशोक का ब्रेन डेड हो गया. ऐसे में डॉक्टर्स ने देहदान करने की बात कही. यह निर्णय हमारे लिए बहुत कठिन था लेकिन आखिरकार पूरे परिवार वालों ने किसी को जीवन मिले, इसके चलते हमने हामी भर दी, जिसके बाद अशोक की दोनों किडनी, लीवर और हार्ट का देहदान किया गया. कुछ इसी तरह का वाकया तारपुरा के रिछपाल के परिवार के साथ भी हुआ और ब्रेन डेड होने पर सभी ने अलग अलग समय में परिस्थितियों के चलते देहदान का फैसला लिया और दस से अधिक लोगों को इससे जीवन दान मिल सकेगा.


तीनों देहदानियों के चर्चा इलाके में है और इस पुनीत कार्य की प्रशंसा भी हो रही है. राजनेता प्रशासनिक अधिकारी और स्वयं सेवी और सामाजिक संस्थाएं भी इस जीवनदायनी और पुनीत कार्य करने वालो के परिजनों की हौसला अफजाई कर रहे हैं. विधायक राजेंद्र पारीक, प्रभारी मंत्री शकुंतला रावत, सभापति जीवन खां सांसद सुमेधान्द सरस्वती, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया सहित अनेकों अधिकारी और संगठनों के लोग देहदानियों के परिजनों से मिलकर उनके कार्य की सराहना कर हौसला अफजाई की है.


कई लोगों की जिंदगी बची 
सीकर की सुधीर महरिया संस्थान के बीएल मील बताया कि पहले तो सीकर के युवा केवल प्लाज्मा और ब्लड डोनेशन में ही आ गए थे लेकिन अब सीकर में देहदान में भी लोग पीछे नहीं हट रहे हैं. परिवार के सदस्यों का ब्रेन डेड होने के बाद देहदान की परंपरा अब सीकर में बन चुकी है. बीते करीब 2 महीनों में सीकर में तारपुरा निवासी रिछपाल, गोकुल का बास निवासी कजोड़मल, राधाकिशनपुरा निवासी अशोक सैनी का देहदान हुआ. इनके ऑर्गन से कई लोगों की जिंदगी बची है. इस तरह के बेहतरीन कार्य करने वालो का संस्था की और हर तरह का सहयोग किया जा रहा है.


तीनो देहदानियों के परिजनों ने समाज और इंसानियत के लिए देहदान जैसे अनुकरणीय कार्य कर कई लोगों को जीवन दान ही नहीं दिया बल्कि समाज को एक नया संदेश भी दिया है.