Sikar: PHED को कॉर्पोरेशन बनाने के विरोध में उतरे जलदाय विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, आंदोलन की दी चेतावनी
राजस्थान में सीकर शहर के सांवली रोड स्थित जलदाय विभाग के कर्मचारियों ने आज सरकार के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को कॉर्पोरेशन में परिवर्तन करने के निर्णय के विरोध में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया. पीएचइडी को कॉरपोरेशन बनाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को कॉर्पोरेशन में परिवर्तित कर सरकार सरकारी विभागों का निजीकरण कर रही है.
Sikar News: शहर के सांवली रोड स्थित जलदाय विभाग के कर्मचारियों ने आज सरकार के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को कॉर्पोरेशन में परिवर्तन करने के निर्णय के विरोध में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया. पीएचइडी को कॉरपोरेशन बनाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को कॉर्पोरेशन में परिवर्तित कर सरकार सरकारी विभागों का निजीकरण कर रही है.
इसके विरोध में आज जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर सांकेतिक रूप से विरोध प्रदर्शन किया है. कर्मचारियों का कहना है कि राज्य सरकार निजीकरण के बाद जनता के पानी के बिलों में भी भारी बढ़ोतरी कर सकती है इसके साथ ही राज्य सरकार कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगने का प्रयास कर रही है. इसी के विरोध में आज सीकर जिला मुख्यालय पर कार्यरत सभी अभियंता व सभी संवर्गों के कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया है.
जलदाय विभाग के कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सचिन माथुर ने जानकारी देते हुए कहा कि राजस्थान जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को कॉर्पोरेशन में बदलने के लिए सरकार के बजट में प्रावधान लाया गया है. जिसके अनुसार जलदाय विभाग के कर्मचारियों को धीरे-धीरे कॉर्पोरेशन में शामिल कर लिया जाएगा. उन्होंने ने कहा राज्य सरकार की ओर से जलदाय विभाग का निजीकरण करने से सरकार की आय व खर्चे में में काफी अंतर आ जाएगा. इस अंतर को खत्म करने के लिए सरकार जनता को दिए जा रहे पानी के बिलों में भी 10 गुना तक बढ़ोतरी कर सकती है. इसलिए आमजन के साथ कर्मचारियों के भविष्य का भी सवाल है.
इसी को लेकर पूरे राजस्थान में जलदाय विभाग के कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर सरकार के इससे निर्णय का विरोध किया है. सरकार से मांग है कि वह अपने इस निर्णय को वापस ले. अगर सरकार की ओर से कर्मचारियों की मांगे नहीं मानी जाती है तो पूरे राजस्थान में बड़ा आंदोलन होगा. जिसका निर्णय राजस्थान स्तर के कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियो की ओर से किया जाएगा.