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Sabhal Violence Update: संभल पुलिस ने सोमवार को समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और स्थानीय सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल के खिलाफ केस दर्ज किया है. ये केस मुगल के ज़माने में बनी मस्जिद के कोर्ट के आदेश को लेकर हुई हिंसा के सिलसिले में दर्ज किया गया है. नगर प्रशासन और पुलिस ने कहा कि उनके पास सांसद के खिलाफ सबूत हैं कि उन्होंने "भड़काऊ काम" किए हैं.
हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और 24 पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों समेत कई लोग घायल हुए थे. पुलिस ने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है. डिविज़नल कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा दिखता है कि देशी कट्टे से गोली चलने से मौत हुई है. हिंसा को लेकर सात एफआईआर दर्ज की गई हैं.
सिंह ने कहा, "सांसद जियाउर रहमान बर्क के खिलाफ सबूत हैं कि उन्होंने भड़काऊ एक्ट्स किए हैं. उनके खिलाफ बीएनएस के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है." पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने सोमवार को बताया कि बर्क और इकबाल समेत छह लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज किये गए हैं.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने कहा कि बर्क की "जामा मस्जिद की हिफाजत" वाली टिप्पणी ने भीड़ को इकट्ठा करने का काम किया था. उन्होंने आगे कहा,"बर्क के पहले दिए गए बयान की वजह से हालात और खराब हो गए. इसके लिए उन्हें पहले भी नोटिस दिया गया था."
हिंसा के दिन सांसद के संभल में न होकर बेंगलुरु में होने के बारे में कुमार ने कहा कि बर्क का नाम उनके पिछले बयानों के आधार पर एफआईआर में शामिल किया गया है. जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि सर्वे टीम पर पथराव करने वाली और वाहनों को आग लगाने वाली भीड़ में वे लोग शामिल थे जो 10-15 किलोमीटर के दायरे में रहते थे.
स्थानीय अदालत ने एक याचिका के जवाब में मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था जिसमें दावा किया गया था कि शाही जामा मस्जिद एक मंदिर के खंडहर पर बनाई गई थी. हिंदू पक्ष का दावा है कि मंदिर को मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कर दिया था.
इस बीच, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे विपक्षी नेताओं ने इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की आलोचना की है. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा, “उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुए विवाद पर राज्य सरकार का पक्षपातपूर्ण और जल्दबाजी वाला रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.”