Sirohi news: राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू में एक ऐसा भी क्षेत्र है. जो लगता है कि शहर के एक दम साथ मे बसा है लेकिन पिछले 75 वर्षों से भी अधिक अर्थात आजादी के अमृत महोत्सव के बाद भी इस सितावन क्षेत्र के निवासियों के लिए बिजली व पानी की कोई भी मुकम्मल व्यवस्था सरकार की ओर से नहीं हो पाई है, ऐसे में यहाँ एक ही कारण है वो ये है कि यह जो भूमि है वह वनाधिकार यानि वन क्षेत्र में आती है. 


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और कानून के तकनीकी तौर पर यहाँ बुनियादी सुविधाओं की बहार आ पाए ,उससे पहले ही वन क्षेत्र के कानून रोड़ा बन जाते हैं. मजेदार व दिलचस्प तथ्य यहाँ यह भी है कि नेताओं की जमात यहाँ पर चुनावों में आकर इनसे वोट व सपोर्ट तो माँगती है वादे और आश्वासन भी देती है, लेकिन कई वर्षों से इन सभी गरीब अनुसूचित जन जाति के लोगों के हालात में कुछ बदलाव नहीं आई है. इस धरातल पर कोई भी मुक्कमल समाधान नहीं हुआ है. 


पीने की पाइप लाइन है जो सेंट मैरिज स्कूल के निकट के क्षेत्र में है. वहां से यह सभी लोग पीने का पानी जरिकनो मे भर कर लाते हैं. ऐसे में कोढ़ में खाज की स्थिति तब और गहरी हो गयी जब बिपर जॉय ने राजस्थान में जमकर व्यापक स्तर पर तबाही मचाई. तो कल्पना कीजिए बरसों से अपने कच्चे आवासों में गुजर-बसर कर रहे लोगों पर उस समय क्या बीत रही होगी जब हम सभी अपने पक्के आवासों में तेज बारिश, घुमावदार तेज हवा से भयभीत हो रहे थे. 


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और खुले स्थानों पर खड़े वृक्ष, बिजली के पोल्स धराशायी तो जल जमाव से तर-बतर होती दूविधाजनक स्थिति थी. खैर सब कुछ सलामत ही रहा, शिवाय इसके कि पहले से कच्चे आवास इस तूफान से टूट कर और अधिक जर्जर हो जाने के, लेकिन आज भी उम्मीद कायम ही है, कि कल कुछ अलग होगा, हालातों में बदलावों की बहार चलेगी. लेकिन कब होगा यह सबकुछ समय पे निर्भर है. 


इन्हीं हालातों का जायजा अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य व रिटायर्ड पुलिस अधीकारी पन्ना लाल मीणा ने लिया. सभी टूटे हुए आवासों को देखा और घटने से प्रभावित लोगों से मिले. समस्याओं को भी समझा और बाद में आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को मुख्यमंत्री स्तर पर पहुचाएंगे.