राजकीय चिकित्सालय मौत को दे रहा दावत, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, विभाग नहीं दे रहा ध्यान
राजकीय चिकित्सालय आमजन और कर्मचारियों के लिए लगातार खतरा बनता जा रहा है. गत 4 वर्षों से राजकीय चिकित्सालय में बने कमरों की छतों का मलबा बार-बार गिर रहा है, जिससे कर्मचारी और आमजन बाल-बाल बच रहे हैं.
Anupgarh: अनूपगढ़ का राजकीय चिकित्सालय आमजन और कर्मचारियों के लिए लगातार खतरा बनता जा रहा है. गत 4 वर्षों से राजकीय चिकित्सालय में बने कमरों की छतों का मलबा बार-बार गिर रहा है, जिससे कर्मचारी और आमजन बाल-बाल बच रहे हैं. राजकीय चिकित्सालय के प्रभारी के द्वारा कई बार स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को इस समस्या से अवगत भी करवा दिया गया था लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी शायद किसी की मौत का इंतजार कर रहे हैं.
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मंगलवार देर रात्रि अनूपगढ़ के राजकीय चिकित्सालय में बने कमरा नंबर 9 की छत का मलबा गिरने से कमरे में रखा हुआ फर्नीचर टूट गया. गनीमत रही कि रात्रि के समय कोई भी कर्मचारी उस कमरे में नहीं था नहीं तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था. राजकीय चिकित्सालय के प्रभारी डॉ मुरलीधर कुमावत ने जानकारी देते हुए बताया कि आज सुबह जब कर्मचारी ड्यूटी पर आए और उन्होंने कमरा खोला तो देखा कि कमरे के अंदर छत के मलबे का ढेर पड़ा है और कमरे में रखी हुई मेज भी टूटी हुई है.
डॉक्टर मुरलीधर कुमावत ने जानकारी देते हुए बताया कि राजकीय चिकित्सालय में बने अन्य कमरों की छतों का मलबा भी कई बार गिर चुका है और छतों को रिपेयर करवाने के लिए कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा जा चुका है. गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग को पहला पत्र 2019 में लिखा गया था लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई भी उचित कदम नहीं उठाया गया है. शायद स्वास्थ्य विभाग किसी की मौत का इंतजार कर रहा है.
राजकीय चिकित्सालय में आने वाले मरीज और उनके परिजन और कर्मचारी भय के माहौल में राजकीय चिकित्सालय में इलाज करवाने के लिए मजबूर है. पूर्व में भी राजकीय चिकित्सालय के कमरा नंबर 6, कमरा नंबर 8 सहित अन्य कमरों की छतों का मलबा भी गिर चुका है और कुछ कमरों की दीवारों की हालत ऐसी हो चुकी है कि वह कभी भी गिर सकती है.
राजकीय चिकित्सालय में आए एक मरीज के परिजन ने कहा कि राजकीय चिकित्सालय की इमारत जर्जर हो चुकी है और कई बार उन्होंने इस विषय में चिकित्सकों को भी बताया है. एक मरीज ने तो यहां तक कह दिया कि राजकीय चिकित्सालय में आने का मतलब है मौत को दावत देना. इस मामले में जिला कलेक्टर रुक्मणि रियार ने कहा कि वे स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ से संपर्क कर शीघ्र ही समस्या का समाधान करवाएंगे.
Reporter: Kuldeep Goyal
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