Hitech Ramlila Sriganganagar: दीपावली के नजदीक जगह जगह रामलीला का आयोजन किया जाता है जिससे भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. वर्तमान में सोशल मीडिया के दौर में रामलीला का प्रचलन काफी कम हो गया है और लोग भारतीय संस्कृति से धीरे धीरे दूर अपने मोबाइल पर ही समय व्यतीत करना अधिक पसंद करते हैं लेकिन इन सबके बीच श्रीगंगानगर की हाईटेक रामलीला ने अपनी प्रस्तुति के कारण अलग पहचान बनायी है और इसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आ रहे हैं.


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श्रीगंगानगर में हाईटेक रामलीला
सरहदी जिले श्रीगंगानगर में हाईटेक रामलीला ने आधुनिक एवं सोशल मीडिया के जमाने में भी आकर्षित अभिनय एवं कलाकारों के कारण इलाके में अपनी अलग पहचान कायम कर ली है. श्रीगंगानगर में सुखाड़िया सर्किल के समीप सेठ गोपीराम गोयल की बगीची में हर वर्ष आयोजित होने वाली रामलीला सेवा समिति द्वारा मंचित इस रामलीला को हाईटेक रामलीला के तौर पर जाना जाता है और इसे देखने के लिए लोग खींचे चले आते हैं


युवा वर्ग को जोड़ने का प्रयास
समिति के अध्यक्ष कृष्ण गुनेजा ने बताया कि हाईटेक रामलीला के माध्यम से युवा वर्ग को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है ताकि युवा वर्ग संस्कारों को समझे और अपने जीवन में ढालें और मोबाइल में अनावश्यक समय बराबद नहीं करें. उन्होंने कहा की रामलीला में कई पात्र ऐसे हैं जिनका वास्तविक जीवन में भी वहीं संबंध है.


रामलीला कमेटी के सचिव पवन वधवा ने कहा की भारतीय संस्कृति को आधुनिक तकनीक से दिखाने का प्रयास किया गया है. जिससे नयी तकनीक से युवा वर्ग रामलीला से जुड़ सके और धर्म से भी छेड़छाड़ नहीं हो. इसी लिए इस रामलीला का नाम हाईटेक रामलीला पड़ा.


चार महीने पहले शुरू हो जाती है रिहर्सल
कमेटी सदस्य संजय ने बताया की करीबन चार महीने पहले रिहर्सल शुरू हो जाती है. कोई भी प्रोफेशनल नहीं है. सभी लोग नार्मल परिवारों से हैं. उन्होंने कहा की इस रामलीला की खास बात यह है की हर बार हाईटेक रामलीला गुणवत्ता और तकनीक में अपने ही रिकार्ड तोड़ रही है


सदस्य महेश कुमार ने कहा की वे पैतींस सालो से रामलीला से जुड़े हैं लेकिन हाईटेक रामलीला की बात ही कुछ अलग है..लोग रामलीला खत्म होने तक बैठे रहते हैं और बड़ी शिद्द्त के साथ रामलीला देखते हैं.


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रामलीला के प्रति लोगों की उत्सुकता बढ़ी है
गत नौ साल से रामलीला सेवा समिति की पूरी टीम इसे दिनोंदिन और हाइटेक भी कर रही है और इस कारण रामलीला के प्रति लोगों की उत्सुकता बढ़ी है. लोग अपने बच्चों को भी साथ लाते हैं ताकि उन्हें भी संस्कृति पता चले. पूरी टीम की मेहनत से ही यह सब संभव हो पाता है. सबका एक ही उद्देश्य रहता है कि रामलीला से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें, ताकि फेसबुक-व्हाट्सएप की दुनिया से बाहर आकर लोग अपनी संस्कृति का अनुसरण कर सके.


Reporter-Keldeep Goyal