Jaipur: शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो.
मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से शादी में आ रही बाधा दूर होती है और भगवान बृहस्पति प्रसन्न होकर विवाह का योग बनाते हैं. अगर सच्चे मन से मां की पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.
विवाह में बाधा आने पर गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करके मां के सामने दीपक जलाएं. मां को पीले रंग के फूल अर्पित करें. फूल के बाद हल्दी की तीन गांठ अर्पित करें.
मां के मंत्रों का जप करें और इन तीन गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें. नवरात्र में मां गौरी के छठे स्वरूप मां ललिता गौरी के दर्शन पूजन का विधान है. मां कात्यायनी देवी का मंदिर संकठा घाट पर स्थित है. मां ललिता गौरी और मां कात्यायनी दोनों का ही रूप और गुण सामान हैं.
नवरात्रि के छठे दिन सबसे पहले कलश की पूजन करें. मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां कत्यायनी की पूजा की जाती है. पूजन के लिए पहले मां का ध्यान करते हुए एक फूल हाथ में लें.
मां को फूल अर्पित करने के बाद सोलह श्रृंगार का समान चढ़ा दें. मां को शहद का भोग लगाएं इसके बाद जल अर्पित करें. दीपक-धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें.
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