Rajasthan News: कहते है अंधविश्वास और आस्था में एक बारीक से लकीर होती है. लकीर के इस पार आस्था है और लकीर के पार अंधविश्वास की गहरी खाई भी है, लेकिन 21वीं सदी के भारत में आज भी अंधविश्वास अपनी गहरी जड़े जमाए हुए है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


देश में एक तरफ आधुनिकता के युग की क्रांति है तो दूसरी ओर साइंस नए नए अविष्कार कर रही है. वहीं राजधानी जयपुर से 100 किलोमीटर दूर टोंक के सरकारी अस्पताल में अंधविश्वास का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे.



दरअसल मामला टोंक जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सआदत से जुड़ा हुआ है. टोंक जिले के दूनी के माधोरजपुरा गांव से आए कुछ ग्रामीण सीधे सआदत अस्पताल के वार्ड में पहुंचे और वार्ड में ही उन्होंने एक बेड के पास अंधविश्वास और पाखंड से जुड़े टोने-टोटके की क्रियाएं शुरू कर दीं.



आत्मा को मुक्ति दिलाने का अंधविश्वास से जुड़ा खेल चलता रहा..



यह देख कर अस्पताल के वार्ड में पहले से भर्ती मरीज और उनके तीमारदार भी हैरान रह गए,लेकिन इस दौरान सबसे बड़ी हैरान कर देने वाली बात यह रही की अस्पताल प्रबंधन से जुड़े किसी भी अधिकारी और कर्मचारी ने इस पाखंड को लेकर कोई सवाल तक नहीं किया.



मीडिया ने जरूर ग्रामीणों से इस पूरे मामले की जानकारी जुटाई तो परिजनों ने बताया कि दूनी के माधोराजपुरा निवासी उनके पिता की सआदत के वार्ड में करीब 17 साल पहले मौत हो गई थी.



उन्होंने कहा कि तभी से उनकी आत्मा यहां कैद थी और घर के लोगों को परेशान कर रही थी इसलिए वो आज उन्हें ले जाने आए है.