यहां मालदारों के लिए मोटी कमाई का जरिया बनी मनरेगा योजना? राजस्थान के टोंक से आया ताजा मामला, ऐसे हुआ खुलासा
Tonk: देश के गरीब परिवारों को घर बैठे रोजगार देने और उनकी आर्थिक स्थिति को संबल बनाने के लिए शुरू की मनरेगा योजना इन दिनों टोंक जिले में सरपंच और ग्राम पंचायत स्तरीय और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मोटी कमाई का जरिया बनी हुई है.
Tonk: ऐसा ही एक सनसनीखेज घोटाले का मामला टोंक जिले की कलमंडा ग्राम पंचायत में सामने आया है.जहां सरपंच और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी द्वारा मिलीभगत कर सरकार के राजस्व को चपत लगाने का मामला उजागर हुआ है.एक आरटीआई कार्यकर्ता ने इस सनसनीखेज घोटाले का भंडाफोड़ किया है.अब इस युवक को धमकियां दी जा रही है.
यह मालपुरा पंचायत समिति की कलमंडा ग्राम पंचायत में एक नाड़ी पर चल रहे मनरेगा कार्य की है.जहां श्रमिक नाड़ी पर काम करने के बजाय नाड़ी की पाल पर बैठकर मौज काट रहे हैं.दूसरी तस्वीर में एक जेसीबी नाड़ी में खुदाई कर रही है.
इधर जब आरटीआई कार्यकर्ता महेश मीना ने बताया कि मनरेगा में कार्य शुरू होते ही एक फोटो मौके का अपलोड किया जाता है.लेकिन हर बार इस तरह फोटो अपलोड किया जाता है कि श्रमिकों की पहचान नहीं हौती.लेकिन जब दूसरी मस्टरोल के भी फोटो आनलाइन देखें गए तो वहीं फोटो बार बार दूसरी मस्टरोल में भी अपलोड किया जा रहा है.
मस्टरोल 60 श्रमिकों की है.लेकिन मौके पर चंद श्रमिक बैठे हैं. वह भी काम नहीं करते हैं .पूरा काम जेसीबी से करवाया जाता है.उसके बदले श्रमिकों और सरपंच एक राशि निर्धारित करते हैं जो श्रमिकों को भूगतान आने कै बाद दी जाती है. शेष राशि श्रमिकों के बैंक खाते से निकलवाकर ले ली जाती है.
इतना ही नहीं महेश मीना ने सिंचाई विभाग द्वारा करवाए गए कार्यों में भी ऑपन टेंडर के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के गम्भीर आरोप लगाए हैं.इधर जब सिंचाई विभाग के अधिकारियों से पूरे मसले पर जानकारी लेनी चाही तो किसी भी अधिकारी ने इस भ्रष्टाचार पर बोलने से इंकार कर दिया और ऑफ कैमरा सिर्फ इतना कहा कि स्थानीय नेताओं का दबाव रहता है.हम क्या कर सकते हैं.