Tonk : अपनी बेटी को 12 अंकों का यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिलाने के लिए. राजस्थान के टोंक के पीपलू के रानोली में रहने वाले कैलाश सैनी दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है. 


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मामला यह है कि रानोली निवासी कैलाश सैनी वर्ष 2011 में अपनी पुत्री गुड्डी सैनी का आधार कार्ड बनवाने के लिए आधार कार्ड सेंटर गया. जहां आधार कार्ड सेंटर वाले ने उसकी जन्मतिथि 15 अगस्त 2006 की बजाए 1 जनवरी 2011 लिखते हुए पिता का नाम भी रजनीश लिख दिया.


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निरस्त हो चुका है आधार कार्ड
कैलाश सैनी ने अपनी पुत्री के आधार कार्ड में जन्मतिथि और पिता का नाम सही करवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, विद्यालय की मार्कशीट्स के साथ कई बार आधार कार्ड सेंटर से लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय तक चक्कर लगाया. इसका परिणाम यह आया कि आधार कार्ड में शुद्धिकरण की बजाए वर्ष 2016 में उसका आधार कार्ड ही निरस्त कर दिया गया.


नया भी नहीं बन रहा
पीडि़त कैलाश सैनी ने बताया कि पुत्री के आधार कार्ड में शुद्धिकरण की बजाए निरस्त होने पर वो दुबारा से नया बनवाने के लिए वर्ष 2016 से कई आधा कार्ड सेंटर, सूचना एवं प्रौधोगिकी विभाग टोंक जाकर शिकायत कर चुका हैं, लेकिन पुत्री गुड्डी सैनी का आधार कार्ड नहीं बन पा रहा हैं. वहीं जिला कलेक्टर को भी दो बार समाधान की मांग को लेकर प्रार्थना पत्र दे चुके हैं.


उच्च अध्ययन एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में नहीं हो सकेगी शामिल
छात्रा गुड्डी सैनी ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रानोली में अध्ययन करते हुए विज्ञान संकाय से 12 वीं कक्षा 80 प्रतिशत अंकों के साथ पास की हैं. अब उच्च अध्ययन एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी फॉर्म भरने के लिए आधार कार्ड सबसे जरूरी दस्तावेज के रूप में मांगा जाता हैं. छात्रा गुड्डी सैनी ने बताया कि वो डॉक्टर बनना चाहती है, लेकिन आधार कार्ड के अभाव में कहीं सपने चकनाचूर न हो जाए का डर सता रहा है. पीडि़त ने जिला कलेक्टर से मामले में हस्तक्षेप करके आधार कार्ड बनाए जाने की मांग की हैं.