Tonk News : राजस्थान के टोंक जिला मुख्यालय से महज 10 किमी दूर पालड़ा गांव में ईंट भट्टों में काम करने वाले मजदूर पिछले 15 दिनों से दहशत में हैं. दहशत ऐसी कि आप भी जानेंगे तो कांप उठेंगे. यहां यूपी के बरेली से आए मजदूर की 4 महीने की दुधमुंही मासूम को वन्य जीव ने उस समय अपना शिकार बनाया, तब पति पत्नी दोनों दिनभर की मजदूरी के बाद गहरी नींद में सो रहे थे.


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लेकिन 15 दिन तक ईंट भट्टे के मालिक और मजदूरों के ठेकेदार ने ऐसा जाल बुना कि इन गरीब मजदूर परिवार की पीड़ा को सामने भी लाने तक नहीं दिया. हद तो यह है कि जहां इन मजदूरों के रहने के इंतजाम है. वहां ना सुरक्षित आवास की व्यवस्था है ना ही बिजली के उजाले की.


हालात ऐसे कि पिछले 15 दिनों से रातभर जागकर पहरेदारी करते हैं, ताकि अब दोबारा कोई आदमखोर किसी और को शिकार ना बना सके. अब दहशत के चलते पिछले 15 दिनों से मजदूरों ने काम काज छोड़ कर अपने भुगतान लेने की मांग की तो,  ईंट भट्टा मालिक ने अब तक इनका भुगतान भी नहीं जिससे कि यह घर लौट सके.


दरअसल जिला मुख्यालय से महज ,10 किमी दूर स्थित मेहंदवास थानांतर्गत पालड़ा रोड़ स्थित ईटभट्टा बस्ती के लोग अज्ञात जंगली जानवर के खौफ के चलते परेशान है. क्योंकि 28 अप्रैल की रात एक अज्ञात जंगली जानवर 4 महीने की मासूम बच्ची को उठा ले गया और मारकर खा गया था.


लेकिन बच्ची की मौत के बावजूद इस मामले में ईंट भट्टा मालिक की ओर से ना तो किसी संबंधित थाने में कोई जानकारी दी गई और ना ही वन विभाग को जंगली जानवर के मूवमेंट की जानकारी दी. 


जब पूरे मामले में ईट-भट्टा में कार्यरत कर्मचारियों से लेकर बरेली (यूपी) के फरीदपुर तहसील के पिपरथरा गांव निवासी बच्ची के माता-पिता और परिजनों के साथ ही बस्ती के लोगों से मिलकर पूरी जानकारी ली तो, लोगों से बात करने के बाद अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि किस जानवर ने बच्ची की जान ली है, क्योंकि उक्त जानवर रात के समय आता है और उसे सही तरह से उसकी पहचान नही कर पा रहा है.


वही दूसरी ओर बस्ती के लोग ये जानना चाहते हैं कि कब तक जंगली जानवर के खौफ से उन्हें निजात मिलेगी. क्योंकि 4 माह की मासूम के साथ जिस तरह की घटना घटी वह सच में ही हृदय विदारक थी. वही दूसरे लोगों पर भी हमला जानवर कर चुका है. 


महज चार माह की गौरी की मां किरण ने बताया कि उस दिन को याद कर दिल सिहर उठता है, क्योंकि दिनभर ईंट-भट्टे में मजदूरी के 9 बजे फ्री होने बाद खाना खाने के बाद ऐसी नींद आई कि जंगली जानवर के जबड़े में बच्ची के चिल्लाने की आवाज तक नही सुन पाई.


खुद को कोसते हुए किरण ने कहा कि छोटा बच्चा जागने के बाद रात को 12 बजे बाद नींद खुली तो बेटी पास में नहीं है, उजाला करके देखा तो महज दो मीटर की दूरी पर खून ही खून था, जिसके पीछे-पीछे जाकर देखा तो नहर के पास बच्ची का शव क्षत-विक्षत हालत में पड़ा था. जिसे देखकर होश ही नही रहा.


वही परिजन और बस्ती के लोग भी इस मंजर को देखकर सहम गए. बिना किसी को सूचना दिए बच्ची को दफनाया बस्ती में घटना होने के बावजूद ईंट भट्टा के मालिक और वहां काम करने वाले लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस या वन विभाग को देना मुनासिब नहीं समझा.


यही कारण रहा है कि पूरी घटना इतने दिन लोगों से छिपी रही. परिजनों ने बताया कि ईंट-भट्टे में आए एक साल हो गया. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ, मालिक कहने के बाद बच्ची घर से कुछ दूर पर दफना दिया.