Malpura News: राजकीय सामुदायिक अस्पताल के मेडिकल रिलीफ सोसायटी कोष से लगभग ₹50 लाख का गबन करने का मामला सामने आने के बाद चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डॉ. अनिल मीणा द्वारा तीन पूर्व चिकित्सा अधिकारी प्रभारियों को गबन के रुपयों की वसूली के आदेश दिए जाने के बाद एक पूर्व चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित सक्सेना ने गबन का पैसा जमा करवा दिया. वहीं दो पूर्व चिकित्सा अधिकारी प्रभारियों ने अभी ऑडिट की जांच रिपोर्ट मांगी है. 


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वहीं उन्होंने उनको दिए गए नोटिस को गलत ठहराया है. गत महीने चिकित्सा विभागीय अंकेक्षण दल द्वारा की गई वर्ष 2011 से अब तक के रिकॉर्ड की जांच के बाद राजकीय सामुदायिक अस्पताल मालपुरा के अधिकारी प्रभारी को प्रेषित की गई जांच रिपोर्ट में गबन करने का खुलासा हुआ था. इस मामले में सामुदायिक अस्पताल प्रभारी डॉक्टर अमित मीणा ने सेवानिवृत्त डॉक्टर अर्जुनदास को 36 लाख 84 हजार रूपए, डॉ अमित सक्सेना को एक लाख 20 हजार रूपए और डॉ. विद्या मघनानी को 11 लाख रुपए 18% ब्याज सहित वसूली का नोटिस जारी किया. तीनों चिकित्सक अपने-अपने समय में अस्पताल के प्रभारी रहे हैं. 


विशेष जांच दल की रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल कार्यालय कर्मी कनिष्ठ लेखाकार कल्पना प्रजापत और कनिष्ठ सहायक सलीम नकवी को भी दोषी बताया गया था. विभागीय अंकेक्षण जांच दल की ओर से मेडिकल रिलीफ सोसायटी कोष में गबन का मामला उजागर होने के बाद अस्पताल कर्मियों और अधिकारी में हड़कंप मचा हुआ है. बीते माह प्रथम चरण में चिकित्सा विभागीय अंकेक्षण के सामान्य दल की ओर से अस्पताल रिकॉर्ड की ऑडिट की गई. गबन संबंधी मामला प्रथम चरण में ही जांच दल के सामने आया, लेकिन विभागीय कारणों से मामले की रिपोर्ट निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के समक्ष प्रस्तुत की गई. 


साथ ही दूसरे चरण में मालपुरा अस्पताल पहुंचकर गहन जांच-पड़ताल में गबन राशि की सत्यता प्रमाणित की गई. चिकित्सा विभागीय अंकेक्षण जांच में गबन मामले में दोषी पाए गए पूर्व अस्पताल प्रभारी डॉ. अर्जुन दास ने बताया कि मेडिकल रिलीफ सोसायटी कोष की राशि में गबन के मामले की जानकारी ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर मिली है. इसका लेखा-जोखा करने वाले एनआरएचकर्मी और जूनियर अकाउंटेंट को समय-समय पर लेखा कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए थे. मामले की पूरी जानकारी कर समुचित कार्रवाई की जानी चाहिए. पूर्व प्रभारी डॉक्टर अमित सक्सेना ने बताया कि प्रभारी का काम सुपरवाइजरी का रहता है. कागजी काम की जिम्मेदारी कार्यालय कर्मियों की रहती है. इसके बावजूद अगर कार्य में कोताही हुई है तो सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे. वर्तमान सामुदायिक अस्पताल के प्रभारी डॉ. अनिल मीणा ने बताया कि विभागीय जांच दल की रिपोर्ट अनुसार मालपुरा अस्पताल में वर्ष 2011 से अब तक 50 लाख का गबन किए जाने का मामला उजागर हुआ है. 


आपको बता दें कि विभागीय उच्चाधिकारियों के आदेश अनुसार डॉ. अर्जुनदास, डॉ. अमित सक्सेना व डॉ. विद्या मघनानी को ब्याज सहित राशि वसूली के नोटिस जारी किए गए है. डॉक्टर अर्जुन दास ने बताया कि उनको दिया गया नोटिस गलत है. अस्पताल से ऑडिट जांच की रिपोर्ट मांगी गई है. उनके द्वारा अगर गबन किया होता तो उनके खाते में पैसा जमा होता. उनके खाते में कोई पैसा जमा नहीं है. चिकित्सा अधिकारी प्रभारी पद पर रहते हुए उनका कार्य केवल सुपरविजन का रहता है. लेखा-जोखा का कार्य लेखाकार करता है.


Reporter: Purshottam Joshi


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