Dada Game Tonk: आपने कई खेल देखें और सुने होंगे लेकिन,राजस्थान की सदियों पुरानी परम्परा के ऐसे खेल के बारे बताएंगे कि आप भी अपने  दांतों तले अंगुली दबा लेंगे.  इस खेल में  हजारों की तादाद में उमड़े ग्रामीणों  आपस में  एख फुटबॉल के साथ जोर आजमाइश करते हैं. 


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दरअसल, टोंक जिले के आवां ग्राम पंचायत में सदियों से हिंदू नववर्ष और मकर संक्रांति के मौके पर साल की भविष्यवाणी को लेकर एक खेल खेला जाता रहा है, जिसे यहां कि आम भाषा में दड़ा महोत्सव कहते हैं. जिसमें 22 खिलाड़ी नहीं 12 पुरों के करीब 5 हजार खिलाड़ी आपस में खेलते हैं . खेल में अनुशासन इतना होता है की मैच रैफरी की जरूरत नहीं पड़ती है.


खचाखच भरे आवां के गोपाल चौक में होने वाले दड़ा के महा मुकाबले में फुटबॉल यानी दड़ा को खेलने के लिए हर कोई जोर आजमाइश करता है. इसका वजन करीब 80 किलो का होता है और खेलने वाले खिलाड़ी आवां समेत 12 गांव के लोग होते हैं.


अखनियां दरवाजा और आवां दरवाज़ा के रूप में दो गोल पोस्ट होते हैं. 6 गांव और आधी आवां के लोग एक तरफ होते हैं जबकि 6 गांव और आधी आवां के लोग दूसरी तरफ होते हैं. राज परिवार के कार्तिकेय सिंह ने बताया कि उनके  दादाजी ने यह खेल शुरू करवाया था, जो की सैनिक भर्ती के लिए और काल सुकाल यानी आने वाले साल की भविष्यवाणी करता है. इसमें अगर दडा आवा दरवाजे की तरफ जाएगा तो सुकाल अच्छा साल रहने वाला है , वहीं अगर वह अखियां दरवाजे की तरफ जाएगा तो काल अच्छा साल नहीं रहने वाला है. 


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देवली उपाधीक्षक सुरेश कुमार ने बताया कि, तीन थानों के एसएचओ घाड़, नासरदा ,देवली और  पुलिस लाइन से जाप्ता  यहां की सुरक्षा की माकूल व्यवस्था में लगे हुए थे. 


खेल के लिए तैयार गोपाल चौक


दड़ा के खेल के लिए पंचायत प्रशासन ने गोपाल चौक की साफ सफाई करवा कर उसे पूरी तरह तैयार कर खेल मैदान में तब्दील करवाया  था.


भविष्य की होती है भविष्यवाणी
आज शुभ मुहूर्त देखकर दोपहर 1.15 बजे बाद पूर्व राज परिवार की देखरेख में 80 किलो के दड़े को पूजा अर्चना कर खिलाड़ियों के बीच डाल दिया गया शाम तक खेलने के बाद भी नहीं गया किसी दरवाजे की तरफ बीच में रहने से आने वाला साल सामान्य के रूप में माना गया.


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