Tonk News: देवली उनियारा विधानसभा उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला
Tonk News: टोंक जिले की देवली उनियारा विधानसभा उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला रौचक हो गया है. देवली उनियारा विधानसभा सीट हालांकि सामान्य है.
Tonk News: टोंक जिले की देवली उनियारा विधानसभा उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला रौचक हो गया है. देवली उनियारा विधानसभा सीट हालांकि सामान्य है. किसी जाति विशेष के लिए आरक्षित नहीं है लेकिन यहां गुर्जर,मीणा समाज के बाहुल्य के चलते परिसीमन के बाद से ही भाजपा गुर्जर समाज के नेता को टिकट देती है तो कांग्रेस मीणा समाज के नेता कौन टिकट देती हैं। इस बार भी दोनों ही पार्टियों ने सालों की चली आ रही सियासी परंपरा को निभाया है.
भाजपा ने राजेंद्र गुर्जर को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने केसी मीना को टिकट देकर मैदान में उतारा है. इसके लिए कुछ आंकड़ों को समझना जरूरी है. दरअसल, देवली-उनियारा सीट पर कुल 3 लाख 2 हजार 721 मतदाता हैं. इनमें एसटी-मीणा के लगभग 65 हजार मतदाता और गुर्जर वोट लगभग 54 हजार हैं.
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर हरीश मीणा को 105001 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के उम्मीदवार को 85826 वोट मिले थे. हरीश मीणा 2018 और 2023 में लगातार दो बार देवली उनियारा सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद इस बार लोकसभा चुनाव में टोंक सवाईमाधोपुर सीट से सांसद बन गए.
जानते हैं क्या है जातिगत समीकरण
विधानसभा सीट- देवली उनियारा
कुल मतदाता - लगभग 3 लाख 2 हजार 721
एसटी-मीणा - लगभग 63 से 65 हजार के बीच
अनुसूचित जाति- बैरवा, रेगर, खटीक, कोली, हरिजन व अन्य जातियां- 57 से 61 हजार
गुर्जर- लगभग 54 हजार से 57 हजार के बीच
माली- लगभग 11 हजार से 12 हजार के बीच
ब्राह्मण - लगभग 14 हजार से 15 हजार के बीच
जाट- लगभग 14 हजार से 15 हजार के बीच
वैश्य, महाजन - लगभग 8 हजार
राजपूत - लगभग 4 हजार
मुस्लिम - लगभग 14 हजार वोट
अन्य जातियों के वोट- लगभग 55 से 58 हजार
कांग्रेस की जीत का गढ़ है देवली उनियारा सीट
अब जब हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद इस सीट उपचुनाव हो रहे हैं तो बीजेपी ने राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतारकर कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती पेश की. राजेंद्र गुर्जर मोदी लहर में 2013 से 2018 तक इस सीट से विधायक रहे. इसके बाद से ही लगातार कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा है. इन दोनों के अलावा टिकट न मिलने पर कांग्रेस से बगावत करके नरेश मीणा भी चुनाव लड़ रहे हैं.
हालांकि इस सीट पर इतिहास रहा है कि अब तक कोई निर्दलीय प्रत्याशी यहां कभी जीत हासिल नहीं कर पाया है. इस बार भी कुछ ऐसा ही अनुमान लगाया जा रहा है कि नरेश मीना सहित दर्जन भर निर्दलीय दहाई का आंकड़ा भी बमुश्किल पार कर पाए. लेकिन यह 13 नवंबर को मतदान और फिर मतगणना के बाद ही साफ हो पाएगा कि मतदाता किसकी किस्मत संवारते हैं.