Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि यानी की देवी दुर्गा के पावन दिनों चल रहे हैं. नवरात्रि के पावन दिनों में भक्त माता रानी को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग उपाय और जतन करते हैं. कोई माता रानी को श्रृंगार का सामान चढ़ाता है तो कोई उन्हें नारियल समर्पित करता है. कई लोग 9 दिनों का उपवास भी रखते हैं लेकिन क्या कभी आपने ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जहां माता को शराब का भोग लगता हो.


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राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के छोटीसादड़ी उपखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित है. मेवाड़-मालवार और कांठल क्षेत्र का प्रमुख शक्ति पीठ भंवरमाता का मंदिर है, जो अरावली की सुन्दर अट्टालिकाओं में सुशोभित है. शक्तिपीठ भंवरमाता में देवी मां भंवरमाता, मां कालिका और सरस्वती माता विराजित हैं.



यहां मंदिर के साथ प्रमुख आकर्षण का केंद्र लगभग 70 फीट ऊंचाई से बहने वाला जलप्रपात है, जो एक कुंड में गिरता है. मन को मोह लेने वाले इस झरने को देखने के लिए बड़ी तादात में लोग दूरदराज से यहां पंहुचते हैं. माना जाता है कि यहां आने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस रमणीय स्थल पर हर रविवार और नवरात्रि (Navratri 2021) में मेवाड़-मालवा सहित कई प्रदेशों के लोग माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.


मां ब्राह्मणी की कृपा बरसती है
राजस्थान (Rajasthan News) सहित मध्यप्रदेश के नीमच, रतलाम, मंदसौर, इंदौर सहित कई प्रदेशों के लोग यहां  माता के प्रति आस्था के चलते पहुंचते हैं. ऐसा माना जाता है कि भंवरमाता पवित्र तीर्थ स्थान पर श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मां ब्राह्मणी की कृपा बरसती है.


मंदिर की सात परिक्रमा
यहां कई सालों से मेला भी लगता है. यहां भक्तों के प्रेत दोष या पितृ दोष को दूर किया जाता है. साथ ही, जिन दंपत्तियों के संतान नहीं होती है. वह अपने पति के साथ मंदिर के पवित्र कुंड में स्नान करके माता के मंदिर की सात परिक्रमा करके मां को प्रणाम करके अपनी मन्नत को शेर के कान में कहने पर मां आशीर्वाद स्वरूप भक्तों की सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं.


70 फिट से गिरने वाला जलप्रपात
ऐसी सुंदरता और धार्मिक स्थल का संगम दूर-दूर तक देखने को नहीं मिलता है. मुख्य मंदिर में विराजमान तीन देवियों का संगम और यहां प्राकृतिक छटाओं के बीच 70 फिट से गिरने वाला जलप्रपात और पवित्र कुंड लोगों को सुकून और आनंद देता है.


शिव का आधा शरीर बन जाने का उल्लेख
भंवर माता (Bhanwar Mata) मंदिर में संवत् 547 का एक शिलालेख उपलब्ध है, जिसमे असुर-संहारिणी, शूलधारिणी दुर्गा की आराधना की गई है. इस शिलालेख में पार्वती द्वारा शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा से अभिभूत होकर शिव का आधा शरीर बन जाने का उल्लेख भी किया हुआ है. जानकारों की माने तो भंवरमाता मन्दिर से मिले इस शिलालेख में देवी दुर्गा को महिसासुर राक्षस मर्दन के लिए उग्र सिंहों के रथ पर सवार होकर जाने का वर्णन है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, आस्थाओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE Rajasthan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)