Udaipur: उदयपुर जिले के कोटडा क्षेत्र के गांव-गांव में प्रतिवर्ष भांति की इस वर्ष भी ऐतिहासिक गणगौर मेला का आयोजन किया गया. आदिवासी समाज के इस पारंपरिक मेले में कोटडा क्षेत्र के आसपास गांवों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. जहां उन्होंने गणगौर पुजन कर परिवार में सुख सम्रद्धि की कामना की. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मेले में परम्परा के अनुसार महिलाओं और पुरुष परिधान पहन कर गणगौर मेले में पहुंचे और मेले की शोभा बढ़ा दी. इसमे विशेष रूप से महिलाएं अपने पतियों और परिवार जनों के नाम कपड़ो पर लिखवाकर मेले की शोभा बढ़ रही थी.


बता दें कि, यह जनजाति समाज का बहुत बड़ा अवसर है. आदिवासी अंचल में इस दिनों अधिकांश गांवों में गौरी पूजन का उत्सव चल रहा है. आदिवासी समाज के लोगो की जो अधूरी मनोकाम होती है उन्हें पूर्ण करने के लिए यह अवसर होता है. पांच साल में एक बार होता है.


जो ढोल, कुंडी, वाजु, मांदल, शहनाई, परंपरागत लोकगीत, परंपरागत नृत्य आदि के साथ यह उत्सव मनाया जाता है. यहां जनजाति समाज की परंपरागत झांकी एवं संस्कृति देखने को मिलती है. समाज के लोगों ने बताया कि सनातन संस्कृति का रक्षक आदिवासी ही है. गौर जिसे गणगौर कहते है. आदिवासी समुदाय 15 दिन तक मांस मदिरा से दूर रहकर परहेज करते है. 


यह भी पढ़ें: भीषण गर्मी को देखते हुए प्रशासन का बड़ा फैसला, ऐसे मिलेगी गर्मी से राहत


वहीं, विदाई से अगले दिन यानी चौदस को उपवास करने वाले लोग भीषण गर्मी के बावजूद पूरे दिन अन्न और पानी तक नही पीते है. गौर की विदाई के बाद ही आदिवासी समाज के लोग शादी विवाह करते है. यह तो आदि काल से पूर्वजो की बनी बनाई रीत को आज भी जीवंत देखने को मिल रही है.


रिपोर्ट: अविनाश जगनावत