Salumbar: भामाशाहों ने सुधारे स्कूल के हालात, फिर भी अध्यापकों की कमी से पढ़ाई प्रभावित
भामाशाहों ने लाखों रुपए खर्च कर स्कूल के हालात सुधार दिए. स्कूल का भवन किसी निजी विद्यालय की तरह बना दिया. लेकिन स्कूल में अध्यापको की कमी के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
Salumbar: प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के सरकारी विद्यालय के स्तर को सुधारने के लिए सरकार और भामाशाह की ओर से कई प्रयास किए जाते हैं, लेकिन स्कूलों में अध्यापकों की कमी के चलते यहां अपने भविष्य को सवांरने आने वाले छात्रों का भविष्य ही अंधकार में चला जाता है. कुछ ऐसा ही हाल जिले के आदिवासी अंचल लसाड़िया के कूण गांव के स्कूल का है. जहां भामाशाहों ने लाखों रुपए खर्च कर स्कूल के हालात सुधार दिए. स्कूल का भवन किसी निजी विद्यालय की तरह बना दिया. लेकिन स्कूल में अध्यापको की कमी के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
जिस विद्यालय का भवन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका था. दरवाजे खिड़कियों और फर्श तक को दीमक ने खोखला कर दिया था. विद्यालय की छत टपक रही थी. हमेशा विद्यालय में हादसा होने की स्थिति बनी रहती थी. उस विद्यालय की सूरत भामाशाह और ग्राम पंचायत के सहयोग से पूरी तरह बदल ढ़ी गई.
आज वही विद्यालय अच्छे-अच्छे निजी विद्यालयों को मात देता हुआ प्रतीत होता है. उदयपुर जिले के आदिवासी अंचल में लसाडिया उपखंड क्षैत्र के कूण राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भवन का यह कायाकल्प सम्भव हो पाया यहां के व्याख्याता शिव लाल वैष्णव के प्रयास से.
दरअलस कोरोना काल में लगे लोक डाउन और विद्यार्थियों की अनुपस्थिति के बीच आपदा को अवसर में बदलने का निश्चय किया. स्वप्रेरणा एवं विद्यालय स्टाफ के सहयोग से सर्वप्रथम एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया उसमें समस्त पूर्व विद्यार्थी ग्रामीणों को जोड़कर सभी के सामर्थ्य अनुसार योगदान देने का आह्वान किया. समस्त ग्रामीण एवं पूर्व विद्यार्थियों ने हर जरूरी मदद के लिए आश्वस्त किया. कार्य प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया.
विद्यालय जीर्णोद्धार में समिति बनाकर विद्यालय नवीनीकरण का कार्य प्रारंभ किया. जैसे-जैसे भामाशाह के से मदद मिलती गई वैसे-वैसे कार्य प्रारंभ की किया गया. आज विद्यालय आदर्श विद्यालय की तरह दिखता है, वह अच्छे-अच्छे निजी विद्यालयों को मात देता है.
विद्यालय में 14 सीसीटीवी कैमरे से हो रही है निगरानी
जीर्णोद्धार के तहत पुराने भवन एवं बरामदे की पुर्ण:तया मरम्मत करवाकर नया प्लास्टर करवाया. सभी कक्षा का एवं प्रार्थना सभागार में करीब 30 पंखे और 40 एलईडी बल्ब लगाए गए. संपूर्ण विद्यालय परिसर और प्रमुख कक्षा कक्षों की निगरानी के लिए करीब 14 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए. इनमें भामाशाह के साथ-साथ ग्राम पंचायत का भी सहयोग मिला. भामाशाह व पंचायत के सहयोग से करीब ₹23 लाख खर्च किए गए. जिसमें भामाशाह ने 13 लाख एवं 10 लाख रुपए ग्राम पंचायत कूण ने वहन किए और विद्यालय को सर्व सुविधा युक्त बनाया गया.
शिक्षकों कमी सबसे बड़ी समस्या
लसाडिया उपखंड क्षैत्र का शिक्षा नगरी के नाम से पहचान रखने वाले कूण कस्बे के स्कूल की स्थिति सोचनीय है. कभी इसी विधालय ने 10वीं और 12वीं बोर्ड मे टॉप 15 की मेरिट सूची मे छात्र आते थे. परंतु कुछ वर्षों से रिक्त पदों की भरमार से विद्यालय में विद्यार्थियों को पढ़ाई में व्यवधान हो रहा है. अभी विद्यालय में कुल 23 पदों में से 15 पद रिक्त पड़े हैं वही 8 पदों पर कार्मिक नियुक्त हैं इसमें एक व्याख्याता, 3 अध्यापक , एक शारीरिक शिक्षक, एक वरिष्ठ लिपिक, 2 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नियुक्त है. विद्यालय में करीब 450 से अधिक विद्यार्थियों का नामांकन हो गया है. ऐसे में विद्यार्थी की कक्षाएं शुरू हो चुकी है.
विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में होने जैसा लग रहा है. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व अधिकारियों जानकारी में होने के बावजूद भी रिक्त पदों का समाधान नहीं हो पा रहा है. विधालय का भवन भामाशाह व ग्राम पंचायत के सहयोग से नवीनीकरण तो हो गया. परंतु रिक्त पदों की समस्या बनी हुई है. विद्यालय के विकास में भामाशाह के रूप में आगे आए लोग भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है और अध्यापकों की कमी से बच्चों की पढाई के प्रभावित होने से दुखी हैं. वे अब सरकार रिक्त पदों की समस्या का निराकरण करने की मांग कर रहे हैं. जिससे कूण विद्यायल में पढ़ने वाले छात्र फिर से अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर सके.
प्रधानाचार्य का पद कई सालों से रिक्त
अध्यपको की कमी का आलम यह है कि कूण विद्यालय में अध्यपकों के साथ प्रधानाचार्य का पद भी पिछले कई सालों से रिक्त पड़ा हुआ है. व्याख्याता को अधिक अतिरिक्त प्रभार देकर कार्य संपन्न हो रहे हैं. वर्तमान में व्याख्याता का भी एक पद ही भरा हुआ है.
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Reporter- Avinash Jagnawat