दुर्गा सप्तशती की पुस्तक

दुर्गा सप्तशती की पुस्तक लेकर पाठ करने से अधूरे फल की प्राप्ति होती है, इस हमेशा किसी चौकी पर लाल रंग का साफ़ वस्त्र बिछाकर रखें और ऐसे ही पढ़ें.

कहीं भी न रूकें

दुर्गा सप्तशती पाठ के बीच में कहीं भी न रोकें. अगर आप सम्पूर्ण पाठ करते हैं तो चतुर्थ अध्याय पूरा होने के बाद रूक सकते हैं.

लाभ नहीं होगा

जब भी आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तो पाठ को बीच में छोड़कर नहीं उठना चाहिए, ये आपको लाभ नहीं देगा.

उच्चारण स्पष्ट और लय में हो

दुर्गा सप्तशती के पाठ की गति ना तो बहुत तेज हो और ना ही बहुत धीमी साथ ही शब्दों का उच्चारण स्पष्ट और लय में किया जाना चाहिए.

आसन का रखें ध्यान

दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करने से पहले याद रहे कि जिस आसन पर आप बैठ रहे हैं, वो या तो लाल रंग का हो या फिर कुश का बना हो.

मां दुर्गा का ध्यान जरूरी

दुर्गा सप्तशती का पाठ जब भी आरंभ करें पहले हाथ जोड़कर प्रणाम करें और फिर मां दुर्गा का ध्यान करें.

ऐसे करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

अगर आप एक दिन में दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पा रहे हैं तो कोई बात नहीं, ऐसे में पहले दिन आप सिर्फ मध्यम चरित्र का पाठ ही कर लें और इसके अगले दिन बचे हुए 2 चरित्र का पाठ कर सकते हैं.

ऐसे पढ़े सप्तशती के अध्याय

आप दुर्गा सप्तशती पाठ को 7 दिन में भी पूरा कर सकते हैं इसके लिए इस क्रम का ध्यान रखें . एक,दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से 7 दिन में पढ़ें.

गलतियों की क्षमा मांगे

दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करने से पहले और बाद में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे का पाठ करना अनिवार्य है. पाठ करने के बाद मां दुर्गा से पाठ के दौरान हुई गलतियों की क्षमा मांगे.

हिंदी में भी कर सकते हैं पाठ

श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ संस्कृत में करना संभव नहीं लग रहा हो तो फिर आप हिंदी के संस्करण का भी प्रयोग कर आसानी से इसे पढ़ सकते हैं .

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