सती के अंग शक्तिपीठ बने

माता के शरीर के अंग और आभूषण 52 टुकड़ों में धरती पर अलग अलग जगहों पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए. मां की पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती है.

Anuj Kumar
Oct 22, 2023

कुरुक्षेत्र में भद्रकाली

कुरुक्षेत्र में भद्रकाली देवीकूप मंदिर स्थित है. मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर में सती माता का दायां टखना गिरा था.

इन्द्राक्षी शक्तिपीठ

इन्द्राक्षी शक्तिपीठ- श्रीलंका के जाफना नल्लूर में देवी की पायल गिरी थी. इस शक्तिपीठ को इन्द्राक्षी कहा जाता है.

कर्नाट शक्तिपीठ

कर्नाटक में देवी सती के दोनों कान गिरे थे. इस स्थान पर माता का जय दुर्गा स्वरूप पूज्यनीय है.

अंबाजी माता मंदिर

गुजरात के बनासकांठा में मौजूद अंबाजी माता का एक ऐसा मंदिर है जहां, कोई मूर्ति नहीं है. इस मंदिर में श्री चक्र की पूजा की जाती है.

दंतेश्‍वरी मंदिर

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में स्तिथ है, दन्तेवाड़ा का प्रसिद्ध दंतेश्‍वरी मंदिर.

कोलकाता-कालीघाट मंदिर

कालीघाट में मां सती के दाहिने पांव की चार अंगुलियां गिरी थीं. पुराणों में काली को शक्ति का रौद्रावतार माना जाता है.

नैना देवी मंदिर

नैना देवी मंदिर- हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में शिवालिक पर्वत पर देवी सती की आंख गिरी थी. यहां माता देवी महिष मर्दिनी कही जाती हैं.

विशालाक्षी मंदिर

वाराणसी- विशालाक्षी उत्तर प्रदेश के काशी में मणि‍कर्णिक घाट पर माता के कान के मणिजड़ित कुंडल गिरे थे.

हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ

हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ- मध्य प्रदेश में देवी के दो शक्तिपीठ हैं. यहां माता सती की कोहनी गिरी थी.

कामाख्या शक्तपीठ

कामाख्या शक्तपीठ- प्रसिद्ध शक्तिपीठ में माता की योनि गिरी थी. यहां माता के कामाख्या स्वरूप की पूजा होती है.

ज्वाला जी शक्तिपीठ

ज्वाला जी शक्तिपीठ- हिमाचल के कांगड़ा में देवी की जीभ गिरी थी, इस कारण इसका नाम सिधिदा या अंबिका पड़ा.

नवमी के दिन हवन

नवमी के दिन हवन और विसर्जन के साथ दुर्गा का समापन होता है. 24 अक्टूबर को ही देवी की पूजन प्रतिमाओं का विसर्जन भी होगा. 

देवी पुराण में मात्र 51 शक्तिपीठ

देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन है, लेकिन देवी पुराण में मात्र 51 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है.

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