21 मई 1991: जब सोनिया गांधी ने पूछा- क्या राजीव जिंदा हैं?
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज पुण्यतिथि है. साल 1991 में इसी तारीख को एक बम ब्लास्ट में उनकी जान चली गई थी. इस ब्लास्ट को राजीव गांधी की हत्या करने के इरादे से लिट्टे ने प्लान किया था.
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज पुण्यतिथि है. साल 1991 में इसी तारीख को एक बम ब्लास्ट में उनकी जान चली गई थी. इस ब्लास्ट को राजीव गांधी की हत्या करने के इरादे से लिट्टे ने प्लान किया था. किसी को अंदाजा भी नहीं था कि राजीव गांधी अपनी सिक्योरिटी तोड़ते हुए जिन लोगों से मिल रहे हैं, उनमें से एक महिला उनकी मौत का कारण बन जाएगी. उस दिन घटना की खबर देने के लिए राजीव के निजी सचिव विंसेंट जॉर्ज सोनिया गांधी के पास पहुंचे. सोनिया ने उनसे बस यही पूछा 'क्या वो जिंदा हैं?'... इसके बाद 10 जनपथ की दीवारों ने पहली बार सोनिया गांधी की चीखें सुनी. बदहवास हालत में रोती सोनिया की चीखें गेस्ट रूम में मौजूद कांग्रेस के नेता तक को भी सुनाई दे रही थीं, लेकिन अब कोई कुछ नहीं कर सकता था.
महिला राजीव गांधी के पैर छूने के लिए झुकी और सबकुछ खत्म हो गया
1984 के आम चुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ी जीत हासिल हुई. लेकिन 1989 में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. हार के बाद जीत के इरादे से राजीव गांधी ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी. वे जनता से मिलने के लिए सिक्योरिटी को भी नजरअंदाज करने लगे थे. 21 मई 1991 को राजीव तमिलनाडु के श्रीपैराम्बदूर में चुनाव प्रचार के लिए गए थे. यहां पर वे अपनी कार से उतरे और बॉडीगार्ड्स के साथ मंच की ओर बढ़े. इस बीच वे वहां मौजूद आम लोगों के पास जाकर मिलने लगे. एक बार फिर वे सिक्योरिटी के निर्देशों को नजरअंदाज करने लगे.
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सुबह के करीब 10 बजे थे, राजीव गांधी संबोधन से पहले श्रीपैराम्बदूर में लोगों से मिल रहे थे, इस बीच एक महिला उनके पैर छूने के लिए झुकी और कुछ सेकंड में एक जोरदार धमाके ने सबके कानों को सुन्न कर दिया. इस ब्लास्ट ने राजीव गांधी की मौके पर ही जान ले ली. उनके साथ कई लोग मारे गए. चारों ओर खून और मांस के टुकड़े बिखरे हुए थे.
सोनिया गांधी की चीखें सब सुन रहे थे... लेकिन कोई कुछ नहीं कर सकता था
वरिष्ठ पत्रकार व लेखक रशीद किदवई द्वारा सोनिया गांधी पर लिखी किताब 'सोनिया: अ बायोग्राफी' के मुताबिक, घटना वाले दिन दिल्ली में राजीव गांधी के निवास 10 जनपथ पर सब सामान्य था. राजीव के निजी सचिव विंसेंट जॉर्ज वहां से अपने निवास पहुंचे ही थे कि उन्हें एक कॉल आया, जिसमें राजीव गांधी के साथ हुई घटना के बारे में बताया गया. जॉर्ज को यकीन नहीं हुआ और वे तुरंत वापस 10 जनपथ की ओर निकल गए. इस बीच सोनिया गांधी को भी फोन आया, उनसे पूछा गया कि क्या सबकुछ ठीक है?
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सोनिया गांधी ने तुरंत विंसेंट जॉर्ज को तलब किया और लेकिन वे उन्हें राजीव गांधी की हत्या की खबर देने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. जॉर्ज को भी इस खबर पर यकीन नहीं हो पा रहा था. विसेंट जॉर्ज के पास एक और फोन आया जो चेन्नई से था. कॉल करने वाला शख्स किसी भी हाल में सोनिया गांधी या जॉर्ज से बात करना चाहता था. जॉर्ज ने सीधे राजीव गांधी के बारे में पूछा. सामने की ओर से करीब पांच सेकंड तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. जॉर्ज से रुका नहीं गया वे चिल्लाते हुए पूछने लगे, जिस पर शख्स ने राजीव गांधी के ब्लास्ट में मारे जाने की खबर की पुष्टि कर दी.
विसेंट जॉर्ज फोन पटकते हुए सोनिया गांधी के कमरे की ओर आवाज लगाते हुए दौड़े. सोनिया अपने कमरे से बाहर आईं. जॉर्ज ने ब्लास्ट के बारे में बताया जिस पर उन्होंने सिर्फ एक सवाल किया 'इज ही अलाइव?' (क्या वो जिंदा हैं?). सामने से मिली चुप्पी में सोनिया को जवाब मिल गया था. वे चीखें मारते हुए रोने लगीं. बदहवास हालत में उन्हें कोई नहीं संभाल पा रहा था. ये पहली बार था जब 10 जनपथ की दीवारों ने सोनिया की चीखें सुनी थीं. हत्याकांड की खबर मिलने पर कांग्रेस पार्टी के नेता वहां पहुंचने लगे थे. कहा जाता है कि सोनिया गांधी की चीखें बाहर के गेस्ट रूम तक सुनाई दे रही थीं, लेकिन सब असहाय थे.
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लिट्टे ने रची थी हत्या की साजिश
बाद में खुलासा हुआ कि इस ब्लास्ट को लिट्टे ने राजीव गांधी की हत्या करने के लिए प्लान किया था. आत्मघाती विस्फोट को अंजाम देने वाली महिला की पहचान धनु के रूप में हुई. लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन के आदेश पर इस गुट के सदस्य सिवरासन ने हत्याकांड की पूरी साजिश रची थी. राजीव गांधी हत्या कांड की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआई की स्पेशल टीम ने जैसे-जैसे शिकंजा कसा वैसे-वैसे लिट्टे समर्थकों के साइनाइट खाकर जान देने की खबरें सामने आने लगीं. सिवरासन ने भी साइनाइट खाकर जान दे दी थी. जानकारी के अनुसार, सीबीआई कुल 26 लोगों को कानून के कटघरे में लाने में कामयाब हुई. जिन पर राजीव गांधी हत्याकांड का मुकदमा चलाया गया.