नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने गुरुवार को राज्‍य सभा (Rajya Sabha) में पूर्वी लद्दाख में वर्तमान स्थिति को लेकर जानकारी दी और बताया कि चीन (China) ने भारत की भूमि पर कब्जा कर रखा है, लेकिन हम अपनी एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में सीमा पर चीन ने जो कदम उठाए हैं, उससे भारत-चीन के संबंधों पर भी असर पड़ा है.


'चीन का 38 हजार वर्ग किलोमीटर पर अवैध कब्जा'


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राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा, 'हमारा लक्ष्‍य है कि एलएसी पर डिसइंगेजमेंट और यथास्थिति हो जाए. चीन का 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूभाग पर अनधिकृत कब्‍जा है. भारत ने चीन से हमेशा कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों तरफ से कोशिश करने पर ही विकसित हो सकते हैं, साथ ही सीमा विवाद भी ऐसे ही सुलझाया जा सकता है.


48 घंटे में होगी दोनों देशों के सेनाओं की वापसी


राजनाथ सिंह ने सीमा पर जारी गतिरोध पर कहा, 'पैंगोंग झील के उत्‍तरी और दक्षिणी तट पर डिसइंगेजमेंट का समझौता हो गया है. चीन इस बात पर भी सहमत हुआ है कि पूर्ण डिसइंगेजमेंट के 48 घंटों के भीतर सीनियर कमांडर लेवल की बातचीत हो और आगे की कार्यवाही पर चर्चा हो. उन्होंने बताया, 'पैंगोंग झील को लेकर हुए समझौते के मुताबिक, चीन अपनी सेना को फिंगर 8 से पूर्व की ओर रखेगा. इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकड़‍ियों को फिंगर 3 के पास अपने परमानेंट बेस पर रखेगा.


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'भारतीय सेना ने चुनौतियों का डट कर किया सामना'


राजनाथ सिंह ने कहा, 'पिछले साल मैंने इस सदन को अवगत कराया था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के आस-पास पूर्वी लद्दाख में कई टकराव के क्षेत्र बन गए हैं. हमारे सशस्त्र सेनाओं द्वारा भी भारत की सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त और प्रभावी काउंटर परिनियोजन किए गए हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है और अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पैंगोंग में दिया है.'


'भारतीय सेनाएं बहादुरी से दुर्गम पहाड़ियों में अडिग'


राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाड़ियों और कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा प्रभाव बना हुआ है. हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं.'


9 महीने से चल रहा था भारत-चीन विवाद


बता दें कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवाद पिछले साल मई में शुरू हुआ था, जब चीन ने लद्दाख के अक्साई चिन की गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत की ओर से सड़क निर्माण को लेकर आपत्ति जताई थी. 5 मई को भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद सैन्य गतिरोध पैदा हो गया. इसके बाद चीनी सैनिक 9 मई को सिक्किम के नाथू ला (Nathu La) में भी भारतीय सैनिकों के साथ उलझ गए थे, जिसमें कई सैनिकों को चोटें आई थीं.


इसके बाद 15 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद भारत और चीन के बीच कई स्तर की बातचीत हुई. 20 जनवरी 2021 को सिक्किम में नाकू ला (Naku La) में घुसपैठ की कोशिश की. इसके बाद जब भारतीय सेना के जवानों ने चीनी सैनिकों को रोकने की कोशिश की तो दोनों पक्षों में झड़प हो गई और दोनों देशों के कई सैनिक जख्मी हुए थे.


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