BRO का कमाल, लेह में तीन माह में तैयार किए 3 पुल; रक्षा मंत्री ने दिए ये खास निर्देश
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बीआरओ के अधिकारियों के साथ अहम बैठक की. बैठक में भारत-चीन पर सड़क निर्माण परियोजनाओं को लेकर चर्चा की.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने मंगलवार को भारत सीमा सड़क संगठन (BRO) के अधिकारियों के साथ अहम बैठक की. बैठक में भारत-चीन पर सड़क निर्माण परियोजनाओं को लेकर चर्चा की गई. लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने एलएसी पर जारी निर्माण कार्यों की जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ को दी. मीटिंग एक घंटे से ज्यादा चली. रक्षा मंत्री ने भारत-चीन सीमा पर सड़क निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए.
BRO ने लेह के पास तैयार किए तीन पुल
सीमा सड़क संगठन ने लेह के पास तीन पुल तैयार किए हैं. ये पुल सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इन पुलों की मदद से LAC पर टैंक और भारी वाहन ले जाना आसान हो गया है. तीनों पुलों को सिर्फ तीन महीने में ही तैयार किया गया है. BRO ने खारदुंग ला पास की सड़क को दो लेन में बदलना शुरू कर दिया है. लद्दाख में बनी यह दुनिया की सबसे ऊंची रोड है जो देश को सियाचिन ग्लेशियर तक पहुंच उपलब्ध करवाती है. इसके बन जाने से सियाचिन तक भारी वाहनों की आवाजाही आसान हो जाएगी.
इधर, गलवान में चीन के पीछे हटने के बावजूद भारत बॉर्डर पर कोई ढिलाई छोड़ने के मूड में नहीं है. लद्दाख के फॉरवर्ड एयरबेस पर वायुसेना के लड़ाकू जहाज और हैलीकॉप्टर दिन- रात सरहद पर गश्त कर रहे हैं. इसके साथ ड्रोनों के जरिए चीन की गतिविधि पर लगातार नजर रखी जा रही है.
गलवान घाटी में पीछे हटा चीन
लद्दाख में सीमा पर भारत के सख्त रुख के आगे चीन झुक गया है. सूत्रों के मुताबिक गलवान घाटी में चीन के सैनिक पीछे हटने लगे हैं. कई बख्तरबंद गाड़ियां वापस गईं हैं. चीन के सैनिक गलवान, हॉटस्प्रिंग और गोगरा इलाके से वापस जाते दिखे. चीन के सैनिक पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 से टेंट हटाते हुए भी दिखे. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और चीन के विदेश मंत्री के बीच फोन पर बातचीत हुई. दोनों ने करीब 2 घंटे बातचीत की. विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों देश शांतिपूर्ण माहौल बनाने पर सहमत हुए. सीमा पर चरणबद्ध तरीके से सेना के पीछे हटने पर सहमति बनी.
चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत से संबंधों पर अहम बयान दिया है. चीन ने उम्मीद जताई है कि भारत सैन्य और राजनयिक स्तर पर उसके साथ करीबी संपर्क में रहेगा. साथ ही सीमा पर दबाव कम करने की दिशा में काम करेगा. चीन ने माना है कि सीमा पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के लिये अहम है.
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