नई दिल्ली : दिल्ली में राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव के नामांकन का आखिरी दिन है. आम आदमी पार्टी द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा के बाद भले ही पार्टी की अंदरूनी खींचातानी खत्म हो गई हो, लेकिन पार्टी के बाहर बागी नेताओं ने 'आप' की राह में रोड़ा अटकाने की पूरी तैयारी कर ली है. 'आप' के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने राज्यसभा उम्मीदवार सुशील गुप्ता के खिलाफ पार्टी की दिवंगत नेता संतोष कोली की मां कलावती को उतारने का ऐलान किया है. कपिल मिश्रा ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी के कई विधायक उनके साथ हैं. 


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'आप' ने तीन जनवरी बुधवार को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की थी. पार्टी ने संजय सिंह, सुशील गुप्ता और डीएनगुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है. सुशील गुप्ता पेशे से बड़े कारोबारी है और कांग्रेस के टिकट पर 'आप' के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. सुशील को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पार्टी की खूब आलोचना हो रही है. इसके अलावा उम्मीदवारों में कुमार विश्वास का नाम नहीं होने से पार्टी का एक गुट विरोध में चला गया है.


कपिल मिश्रा ने पार्टी में इस विरोध का फायदा उठाते हुए संतोष कोली की मां का उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है. कलावती के नामांकन के साथ ही यह साफ हो जाएगा कि 'आप' पार्टी में और कितने विधायक खिलाफ चल रहे हैं, क्योंकि नामांकन के लिए सात विधायकों का समर्थन चाहिए. चार विधायक बीजेपी के हैं. अगर बीजेपी को साथ लेकर कपिल मिश्रा कलावती का समर्थन करते हैं तो उन्हें 'आप' के दो और विधायकों की जरूरत होगी. 


उधर, कुमार विश्वास के विरोध दर्ज कराने पर 'आप' ने उन पर गंभीर आरोप लगाए कि नगर निगम चुनावों के बाद दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार गिराने की साजिश रचने के केंद्र में कुमार विश्वास थे. 'आप' के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने दावा किया कि पिछले वर्ष अप्रैल में एमसीडी चुनावों के बाद सरकार को गिराने का प्रयास किया गया और उस साजिश के केंद्र में कुमार विश्वास थ’ उन्होंने फेसबुक के लाइव सत्र में कहा, ‘इस बारे में कुछ विधायकों के साथ अधिकतर बैठकें उनके घर पर हुईं. कपिल मिश्रा उसका हिस्सा थे और बाद में उन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया.’ 


कौन थीं संतोष कोली
संतोष कोली ने अरविंद केजरीवाल के साथ सूचना के अधिकार कानून पर खूब काम किया था. दिल्ली के सीमापुरी इलाके सुंदरनगरी इलाके से अरविंद केजरीवाल और उनके कामों को पहचान मिली थी. इसका श्रेय संतोष कोली को ही जाता है. उन्होंने शुरुआती सालों में बिजली, पानी की समस्या से जूझते लोगों की सहायता, उस के बाद सफाई कर्मचारियों की काम ना करने की आदत का बहिष्कार, शिक्षा में ईडब्लूएस के प्रवेश को लेकर संघर्ष, राशन वालों के खिलाफ खुला आंदोलन और जनलोकपाल की लड़ाई से लेकर संघर्ष किया था. इस दौरान उन पर दो वार जानलेवा हमले भी हुए थे. दिसम्बर, 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाओं के लिए संतोष सीमापुरी विधानसभा सीट से दावेदार थी, लेकिन चुनावों से पहले जून में दिल्ली से सटे कौशांबी में एक तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी थी. इस दुर्घटना में संतोष की मौत हो गई. संतोष कोली के निधन के बाद अगस्त 2013 में धर्मेन्द्र को सीमापुरी से आप उम्मीदवार नियुक्त किया गया और चुनावों में धर्मेंद्र ने जीत भी हासिल की थी.