Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक है. रक्षाबंधन सदियों से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है और भारत में यह त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है. रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है. यह एक ऐसा रिश्ता है, जो प्यार, विश्वास और सुरक्षा पर आधारित है. लेकिन, रक्षाबंधन के इस पारंपरिक अर्थ को आज के समय में एक नई चुनौती मिल रही है. भारत में बढ़ते हुए बलात्कार के मामलों ने इस त्योहार के पीछे के मूल्यों पर सवाल उठाए हैं. एक ओर जहां हम रक्षाबंधन मनाते हुए भाई-बहन के प्यार का जश्न मनाते हैं, वहीं दूसरी ओर हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करतीं. अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करने वाला अक्सर दूसरों की बहन पर गंदी नजर रखता है.


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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और फिर उसकी हत्या के बाद पूरे देश का गुस्सा उबाल पर है. इस हैवानियत के बाद देशभर में प्रदर्शन हो रहा है और लोग इस मामले पर न्याय की मांग कर रहे हैं. घटना को अंजाम देने वालों के लिए कोई फांसी की सजा की मांग कर रहा है तो कुछ लोग सार्वजनिक मौत की सजा की मांग कर रहे हैं. कोलकाता की रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना ने समाज को हिलाकर रख दिया है. इस तरह की घटना के लिए अक्सर मौत की सजा को एक संभावित उपाय के रूप में देखा जाता है. लेकिन, क्या वाकई मौत की सजा बलात्कार जैसी जघन्य अपराध को रोकने का प्रभावी उपाय है?


क्या मौत की सजा रोक सकती है बलात्कार?


अगर ये सवाल किया जाए कि क्या कानून को सख्त बनाकर और ऐसे मामलों में मौत की सजा देकर बलात्कार की घटनाओं को रोका जा सकता है. तो मेरा पर्सनल जवाब है यह कि सिर्फ कानून को सख्त करने और मौत की सजा से इस तरह की घटनाएं नहीं रुक सकतीं. मौत की सजा का उद्देश्य अपराधी को सजा देना होता है, अपराध को रोकना नहीं. अब तक किसी स्टडी या रिसर्च में मौत की सजा से अपराध दर में कमी आने के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं.


मौत की सजा को मानवाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है. यह एक अपरिवर्तनीय सजा है और किसी भी गलतफहमी या न्यायिक भूल का मौका नहीं छोड़ती. बलात्कार जैसा अपराध कई सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारकों से प्रभावित होता है. सिर्फ सजा को कठोर बना देने से यह समस्या हल नहीं होगी. इसके लिए लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी. इसके साथ ही भारत में न्यायिक प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी है. कई बार बलात्कार के मामलों में पीड़ितों को न्याय मिलने में सालों लग जाते हैं. इस तरह की देरी से पीड़ितों का न्यायपालिका से विश्वास उठ जाता है.


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कानून से पहले समाज को बदलने की है जरूरत


मौत की सजा बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को रोकने का कोई स्थाई समाधान नहीं है. हमें इस समस्या के जड़ तक जाने की जरूरत है और सामाजिक बदलाव लाने के लिए काम करना होगा. शिक्षा, जागरूकता और कानून व्यवस्था में सुधार लाकर ही हम इस समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं. लोगों को, खासकर पुरुषों को, बलात्कार के बारे में जागरूक करना होगा. उन्हें समझना होगा कि महिलाओं के साथ शारीरिक शोषण एक अपराध है और यह महिलाओं को अंदर से तोड़ देता है. इसकी शुरुआत हमे अपने घर से करनी होगी, अपने बच्चों को समझाना होगा और महिलाओं की रिस्पेक्ट करने की बात समझानी होगी.


हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा, जहां महिलाएं सुरक्षित महसूस करें. लड़कियों को बचपन से ही आत्मविश्वास और आत्मरक्षा के लिए प्रेरित करना होगा. पुरुषों को भी इस लड़ाई में शामिल होना होगा. उन्हें महिलाओं के सम्मान के लिए खड़े होना चाहिए और बलात्कार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. स्कूलों और कॉलेजों में लैंगिक शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए और समाज में लैंगिक भेदभाव को खत्म करना चाहिए. बलात्कार की घटना एक जटिल मुद्दा है और इसके समाधान के लिए समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना होगा.


अंत में कानून को सख्ती से पालन करना भी जरूरी


अब ऐसा तो है नहीं कि हम सबकी सोच को बदल दें और हर किसी को इसके लिए जागरूक कर दें. इसलिए, कानून भी बहुत जरूरी है. कानून को ज्यादा सख्त बनाने से पहले जो मौजूदा कानून हैं, उन्हें ठीक तरीके से लागू करना होगा. बलात्कार के मामलों में कानून का सही ढंग से लागू न होना और पीड़ितों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार भी एक बड़ी समस्या है. बलात्कार के मामलों में सजा को कठोर तो बनाना होगा. साथ ही, पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कानूनी एजेंसियों को अधिक जिम्मेदार और सक्षम बनाना होगा. पुलिस और न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी.


इस रक्षाबंधन खुद से करें ये वादा


क्या हमने कभी सोचा है कि रक्षाबंधन पर अपनी बहन की रक्षा का जो वचन हम देते हैं वो वचन सिर्फ हमारी बहनों तक ही सीमित क्यों है? क्या हमारी जिम्मेदारी सिर्फ अपनी बहनों की रक्षा करना ही है? रक्षाबंधन का असली अर्थ सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते से कहीं ज्यादा है. यह हमें एक इंसान होने के नाते अपनी जिम्मेदारी याद दिलाता है. हमें हर महिला और हर लड़की की रक्षा और इज्जत करने की जिम्मेदारी है. इस रक्षाबंधन, आइए हम सिर्फ अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन न लें, बल्कि हर महिला की रक्षा करने का संकल्प लें. आइए हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहां हर महिला सुरक्षित महसूस करे. बहनों की भी जिम्मेदारी है कि अपने भाई को दूसरी लड़कियों की इज्जत करना सिखाएं और इस रक्षाबंधन उनसे गिफ्ट में ये वादा लें कि वो किसी दूसरे की बहन के साथ गलत हरकत नहीं करेंगे.


याद रखें, रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदारी है…


डिस्क्लेमर: लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी है. Zee News का इससे कोई लेना-देना नहीं है.