Vishnu Hari Dalmia Ram Mandir Card: 20 साल से भी ज्यादा समय पहले की बात है. विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया लिब्रहान अयोध्या आयोग के समक्ष पेश हुए. मुझे याद नहीं, मैं कह नहीं सकता... उन्होंने कुछ सवालों का यही जवाब दिया. आयोग के वकील अनुपम गुप्ता ने जब पूछा कि क्या विश्व हिंदू परिषद चाहती थी कि विवादित ढांचे को राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए तो डालमिया ने जवाब दिया कि मैंने पहले ही कहा है कि वहां राम मंदिर बनना चाहिए. आगे गुप्ता ने कहा कि इसका मतलब वीएचपी राष्ट्रीय स्मारक के लिए राजी नहीं है. इसके बाद उन्होंने जो बात कही थी उसकी काफी चर्चा हुई थी. डालमिया ने कहा था कि राम मंदिर अपने आप में राष्ट्रीय स्मारक होगा. आज राम मंदिर लगभग बनकर तैयार है लेकिन विष्णु हरि डालमिया इस दुनिया में नहीं हैं. हालांकि राम मंदिर ट्रस्ट ने उन्हें याद रखा है.



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जी हां, अयोध्या में 22 जनवरी के समारोह के लिए जो न्योता 6,000 से ज्यादा चुनिंदा लोगों को भेजा गया है उसमें एक कार्ड में डालमिया का भी जिक्र है. दरअसल, एक अलग कार्ड उन लोगों को समर्पित है जिन्होंने 1528 से लेकर 1984 तक राम मंदिर आंदोलन में अपना योगदान दिया. वैसे तो इस लिस्ट में ज्यादातर संत हैं लेकिन एक उद्योगपति का भी नाम मिलता है. उनका नाम विष्णु हरि डालमिया है. अगर कार्ड आपके पास भी पहुंचा है तो आप समझ गए होंगे कि डालमिया कौन थे. अगर कार्ड नहीं मिला है तो आइए जानते हैं कि उस उद्योगपति के बारे में जिसने राम मंदिर आंदोलन में विशेष भूमिका निभाई.  


मथुरा में खरीदी थी जमीन


विशेष कार्ड में ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर के साथ विष्णु हरि डालमिया के बारे में बताया गया है कि भारत के जानेमाने उद्योगपति विष्णु हरि डालमिया जी विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रहे और सक्रिय रूप से श्री रामजन्मभूमि आंदोलन में लगातार सहयोग करते रहे. उन्होंने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान के चारों ओर जमीन खरीदी थी. उनके द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया. वह एक समर्पित गौ सेवक थे जिन्होंने मथुरा समेत कई जगहों पर गौशालाएं बनवाईं. 


मुस्लिम समाज ने कमिटमेंट किया है...


जनवरी 2019 में 91 साल की उम्र में विष्णु हरि का निधन हो गया. इससे करीब एक साल पहले धीमी आवाज में बोलते हुए डालमिया ने कहा था कि अब नया समझौता क्या होना है. मुस्लिम समाज ने यह कमिटमेंट किया हुआ था कि अगर यह साबित हो गया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है तो वे अपना दावा वापस ले लेंगे. (उस समय सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आया था)


मंदिर आंदोलन का चेहरा


उनके साथी और राजनीतिक सहयोगी उन्हें विष्णुजी कहकर पुकारते थे. वह डालमिया भारत ग्रुप के संस्थापक जयदयाल डालमिया के बड़े बेटे थे. हालांकि बिजनस जगत से बाहर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए अभियान में विशेष भूमिका के कारण उन्हें ज्यादा प्रसिद्धि मिली. वह 1992 से लेकर 13 साल तक वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. ढांचा गिराए जाने की घटना के बाद उन्हें, अशोक सिंहल, आचार्य गिरिराज किशोर समेत चुनिंदा लोग मंदिर आंदोलन के चेहरे बन गए. आजादी के बाद उन्हें ऐसे लोगों की कतार में शामिल किया गया जिनके कहने पर हजारों-लाखों लोग निकल पड़ते थे. वह श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा के प्रबंध न्यासी (मैनेजिंग ट्रस्टी) भी रहे. 


बिजनस क्षेत्र की बात करें तो उन्होंने 1981 से 1986 तक डालमिया सीमेंट (भारत) कंपनी को लीड किया. उनके निधन पर डालमिया ग्रुप की ओर से कहा गया था कि विष्णु हरि डालमिया जी के नेतृत्व में ग्रुप ने काफी तरक्की की. वह पूरे समूह के लिए प्रेरणास्रोत थे.