तिब्बत के अंदर चीन यारलुंग त्सांगपो नदी पर सबसे बड़ा डैम बनाने जा रहा है. इस डैम से भारत को कई संभावित खतरे हैं. हालांकि इनको देखते हुए भारत ने भी डैम बनाने की तैयारी कर ली है. हालांकि कुछ स्थानीय लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं.
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चीन ने तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाने की मंजूरी दी है. यह नदी अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है, जहां इसे सियांग कहा जाता है. इसके अलावा असम में इसे ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना के नाम से जाना जाता है. तिब्बती पठार पर बनने वाला यह डैम भारत और बांग्लादेश के लाखों लोगों पर प्रभाव डालेगा. इससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरण पर भी असर पड़ेगा. यह डैम फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) या पानी की कमी की वजह भी बन सकता है. साथ ही जंग के हालात में इससे चीन को बड़ा फायदा हो सकता है.
अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मीन ने कहा कि सियांग डैम चीन के मेगा प्रोजेक्ट का मुकाबला करेगा. यह डैम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बनाया जाएगा. चौना मीन ने कहा,'हम पहले प्री-विजिबिलिटी रिपोर्ट (PVR) बनाएंगे. अगर यह प्रोजेक्ट फायदेमंद हुआ तो डैम बनाया जाएगा. अगर नहीं तो इसे नहीं बनाया जाएगा.' अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में प्रस्तावित 'सियांग हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट' 11000 मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है.
हालांकि सियांग डैम के खिलाफ स्थानीय लोगों का विरोध बढ़ रहा है. 350 से ज्यादा लोगों और संगठनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपील की है कि अरुणाचल प्रदेश में डैम सर्वे के लिए भेजे गए अर्धसैनिक बलों को हटाया जाए. सियांग इंडिजीनस फार्मर्स फोरम (SIFF) के तहत कई गांवों के लोग डैम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट हजारों लोगों को विस्थापित करेगा और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा.
इसको लेकर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों को हमारे राज्य पर चीनी परियोजना के प्रभावों के बारे में जागरूक कर रहे हैं. पिछले पांच वर्षों से हम सियांग बांध के बारे में जागरूकता पैदा कर रहे हैं और बहुत से लोग इसे समझते हैं लेकिन कुछ लोग बात की गंभीरता को नहीं समझ पा रहे हैं और यह नहीं समझ पा रहे हैं कि प्रस्तावित चीनी बांध सियांग नदी और निचले क्षेत्र को कैसे प्रभावित करेगा.'
चीन का डैम 60,000 मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है, जो कि विश्व के सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस डैम के बराबर है. यह हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के खतरों को बढ़ा सकता है. इसको लेकर चौना मीना का कहना है कि अगर अगर चीन अचानक पानी छोड़ता है तो सियांग नदी, ब्रह्मपुत्र घाटी और गुवाहाटी का सराईघाट पुल डूब सकता है. वहीं अगर चीन पानी रोकता है तो नदी सूख जाएगी. लेकिन अगर सियांग डैम होगा तो इस स्थिति का मुकाबला किया जा सकेगा.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी चीनी बांध को लेकर इसी तरह की चिंता जताई है. उन्होंने कहा,'अगर यह बांध आता है तो ब्रह्मपुत्र का इकोसिस्टम पूरी तरह से कमजोर हो जाएगा. यह सूख जाएगा और सिर्फ भूटान व अरुणाचल प्रदेश के वर्षा जल पर निर्भर रहेगा.'