Ram Mandir Pran Pratishtha Controversy: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर खड़ा किया जा रहा विवाद कितना सही है, आइए समझ लेते हैं. 22 जनवरी को होने वाले भव्य आयोजन से पहले कुछ सियासी सवाल उठाए जा रहे हैं. कार्यक्रम की तारीख और पूरी विधि को लेकर भी कुछ लोगों ने आपत्ति जताई है. मगर सच क्या है? आखिर क्यों 22 जनवरी की ही तारीख तय की गई? और अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratishtha) को लेकर जो सवाल हैं उससे जुड़े सभी भ्रम और विवाद इस खबर को पढ़ने के बाद दूर हो जाएंगे.


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पूरे विधि-विधान से होगी प्राण प्रतिष्ठा


अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं. रामनगरी को भव्य तरीके से सजाया गया है और हर तरफ राममय माहौल है. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर रामभक्तों का उत्साह देश के हर कोने में भी देखा जा रहा है. भव्य मंदिर में 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है. प्राण प्रतिष्ठा समारोह विधि-विधान से होगा और सनातनी परंपरा के तहत संपूर्ण अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा.


प्राण प्रतिष्ठा पर किसने खड़ा किया विवाद?


इस भव्य आयोजन पर पूरे देश की निगाहें हैं. लेकिन उससे पहले कई लोगों ने इस पर सवाल के सहारे विवाद खड़ा करने की कोशिश की है. आप पहले समझिए कि प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विवाद कैसे शुरू किया गया और कैसे इस पर तमाम सवाल उठाए गए. विपक्ष ने शंकराचार्यों के बयानों का हवाला देकर सरकार पर निशाना साधा. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि मंदिर का निर्माण अधूरा है इसलिए प्राण प्रतिष्ठा सही नहीं है. विपक्ष ने प्राण प्रतिष्ठा की तारीख 22 जनवरी तय करने को लेकर भी सवाल उठाए और विवाद को हवा देने की कोशिश की.


प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल क्यों?


विपक्ष के तर्क शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद और निश्चलानंद सरस्वती के बयानों के बाद आए. दोनों शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर आपत्ति जताई थी. हालांकि, शंकराचार्यों ने अपनी बात कही और ये भी साफ किया कि वो कार्यक्रम का विरोध नहीं कर रहे. इसके बाद भी विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की और प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर विवाद खड़ा किया.


अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा क्या शास्त्र सम्मत है?


इस पूरे विवाद पर काशी के विद्वान ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ से सवाल पूछे गए. और उन्होंने तथ्यों के साथ पूरा विवाद खत्म कर दिया. पहला सवाल पूछा गया कि क्या अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र सम्मत है? इस सवाल का जवाब श्री वल्लभराम शालिग्राम साङ्गवेद विद्यालय, वाराणसी क  परीक्षाधिकारी मंत्री ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने विस्तार से दिया. उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा दो प्रकार से होती है. पहला- जब मंदिर पूर्ण हो जाए और दूसरा जब मंदिर का निर्माण जारी हो.


अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा सही या गलत?


गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया कि अगर मंदिर पूर्ण होने पर प्राण प्रतिष्ठा होती है तो मंदिर के ऊपर कलश प्रतिष्ठा की जाती है जो कोई संन्यासी ही कर सकता है. अगर मंदिर का निर्माण पूरा नहीं है तब भी प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है. और जब मंदिर पूर्ण बन जाए तब किसी भी शुभ दिन पर कलश प्रतिष्ठा की जा सकती है.


पूरी तरह शास्त्र सम्मत है प्राण प्रतिष्ठा


आचार्य द्रविड़ ने बताया कि अगर किसी मंदिर के द्वार नहीं बन जाते और जब तक मंदिर ढका नहीं जाता तब तक प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती. लेकिन राम मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार है. वहां दरवाजे भी लग गए हैं और गर्भगृह भी ढका है. आचार्य ने ये भी साफ किया कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले वास्तुशांति होगी. साथ ही बलिदान और ब्राह्मण भोज भी होगा. ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा पूरी तरह शास्त्र सम्मत है.


क्यों चुनी गई 22 जनवरी की तारीख?


ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री ने पहले सवाल का जो जवाब दिया उससे साफ है कि अधूरे मंदिर में भी प्राण प्रतिष्ठा का नियम है और उसी नियम का पालन करते हुए 22 जनवरी को भव्य समारोह हो रहा है. अब एक और सवाल बार बार उठाया जा रहा है कि अयोध्या के भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तारीख ही क्यों चुनी?


सर्वोत्तम है प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त


इसका जवाब भी ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने संपूर्ण तर्कों के साथ दिया है. उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी सोमवार को सर्वोत्तम मुहूर्त है. इसीलिए ये दिन चुना गया. 22 जनवरी 2024 से पहले गुणवत्तर लग्न नहीं मिलता और गुरु वक्री होने से दुर्बल है इसीलिए प्राण प्रतिष्ठा के लिए यही तारीख श्रेष्ठ है. इसके अलावा गुरु की दृष्टि पंचम, सप्तम, नवम होने से उत्तम मुहूर्त है. बलिप्रतिपदा को मंगलवार है और इस दिन गृह प्रवेश वर्जित होता है, अनुराधा नक्षत्र में घटनाक्रम की शुद्धि नहीं है. 25 जनवरी पौष शुक्ल को मृत्युबाण यानी उत्तम दिन नहीं है. माघ-फाल्गुन में बाणशुद्धि नहीं तो कहीं पक्ष शुद्धि नहीं है इसीलिए 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सर्वोत्म है.


राम नवमी पर क्यों नहीं की गई प्राण प्रतिष्ठा?


कई लोगों ने ये भी सवाल उठाए थे कि जब रामनवमी अप्रैल में है तो उसी दिन प्राण प्रतिष्ठा क्यों नहीं की गई. इसका जवाब भी पंडिय गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने दिया है. उन्होंने कहा है 14 मार्च से खरमास शुरू हो रहा है जिसमें शुभ कर्म वर्जित होते हैं. रामनवमी 17 अप्रैल को मेषलग्न पापाक्रांत है. इसीलिए प्राण प्रतिष्ठा के लिए सभी चीजों को ध्यान में रखकर 22 जनवरी का दिन तय किया गया.


शास्त्रीय तर्कों के साथ पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने पूरे विवाद का समाधान कर दिया है. बता दें कि गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने ही राम मंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त निकाला था और प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त भी उन्होंने ही निकाला है. ऐसे में जिनके भी मन में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आशंका और उलझन है. उम्मीद है उनके सभी सवालों का जवाब मिल गया होगा.