नई दिल्ली: एलोपैथी विवाद पर योग गुरु रामदेव (Ramdev) ने स्वास्थ मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Dr Harsh Vardhan) के पत्र का जवाब देते हुए विवादित बयान वापस ले लिया है. जवाबी पत्र में बाबा रामदेव ने लिखा कि वे मॉडर्न मेडिकल साइंस या एलोपैथी के विरोधी नहीं हैं. वे मानते हैं कि जीवन रक्षा प्रणाली और Surgery में एलोपैथी ने बहुत प्रगति की है और मानवता की सेवा की है. 


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'व्हाट्सएप  मैसेज पढ़कर सुनाया था'
रामदेव (Ramdev) ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Dr Harsh Vardhan) के पत्र के जवाब में लिखा है, 'मेरा जो वक्तव्य quote किया गया है, वह एक कार्यकर्ता बैठक का वक्तव्य है जिसमें मैंने आए हुए व्हाट्सएप मैसेज पढ़कर सुनाया था. उससे अगर उससे किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मुदे खेद है.' रामदेव पत्र में आगे लिखते हैं कि किसी भी मेडिकल प्रैक्टिस में होने वाली गलतियों का रेखांकन उस प्रैक्टिस पर आक्रमण के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए. यह विज्ञान का विरोध कतई नहीं है. 


 




'इंडियन मेडिकल साइंस का भी अनादर न हो'
योग गुरु रामदेव के पत्र के मुताबिक कुछ एलोपैथिक डॉक्टर्स द्वारा इंडियन मेडिकल साइंस, आयुर्वेद और योग को pseudo-science कह कर अनादर किया जाता है, जो नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे भी करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत होती हैं. उन्होंने लिखा है, यदि मॉडर्न मेडिकल साइंस ने चेचक, पोलियो एवं टीबी आदि गंभीर रोगों का इलाज खोजा है तो योग, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी भारतीय चिकित्सा पद्धति ने बीपी, शुगर, थायराइड, अर्थराइटिस, फैटी लिवर, हेपेटाइटिस, अस्थमा जैसे रोगों का इलाज किया है. 


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'आयुर्वेद ने भी करोड़ों लोगों की जान बचाई' 
रामदेव ने लिखा है, कोरोना काल में भी एलोपैथी के डॉक्टर्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर करोड़ों लोगों की जान बचाई है, हम उसका सम्मान करते हैं. हमने भी आयुर्वेद और योग के प्रयोग से करोड़ों लोगों की जान बचाई है, इसका भी सम्मान होना चाहिए. आगे भी कोरोना और कोरोना के कॉम्प्लिकेशंस से लड़ने के लिए सभी पद्धतियों के समन्वय से मानवता की सेवा करने के पक्षधर हैं और सदा रहेंगे.


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