Ranjit Savarkar : विनायक दामोदर सावरकर जी के पौत्र रंजीत सावरकर ने मेक श्योर गांधी इज डेड किताब लिखी है. इसमें रंजीत सावरकर ने महात्मा गांधी की हत्या को लेकर अब तक का सबसे बड़ा दावा किया है. रंजीत सावरकर ने अपनी नई किताब 'मेक श्योर गांधी इज डेड' में इस बात का जिक्र किया है, कि नाथूराम गोडसे की गोली से महात्मा गांधी नहीं मरे थे!


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गांधी पर गोली नहीं चलाई : Ranjit Savarkar


 


सावरकर का कहना है, कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी पर गोली नहीं चलाई थी. साथ ही रंजीत सावरकर ने अपनी नई किताब 'मेक श्योर गांधी इज डेड' में कई सनसनीखेज दावे किए हैं. बताया जा रहा है, सावरकर ने अपनी किताब में दावा करते हुए कहा है, कि महात्मा गांधी के शरीर में मिली गोलियां अलग दिशा से आई थीं. जिस गोली की वजह से गांधी जी की मौत हुई वह नाथूराम गोडसे की नहीं थी. ऐसे में  सावरकर ने सरकार से यह पता लगाने की अपील की है, कि गांधीजी की हत्या के पीछे कौन है.



किताब से सावरकर का दावा है, कि नाथूराम गोडसे को RSS और हिंदू महासभा से प्रतिबंधित कर दिया गया था, क्योंकि वह केवल RSS का स्वयंसेवक था. बताया जा रहा है,कि इस पुस्तक से पता चलेगा कि राम का नाम लेने से एक महान पाप का दमन हो गया, राम का नाम लेकर बड़ा पाप छुपाया गया था. 


 


कौन थे महात्मा गांधी


महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था. साथ ही लोग उन्हें प्यार से बापू कहकर बुलाते थे. मोहनदास करमचंद गांधी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता कार्यकर्ता और भारत के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक नेता थे. बता दें, गांधी जी ने अहिंसा और सत्य (Truth and Non-violence) को हिंसा के खिलाफ लड़ने के लिए दो सबसे अहम हथियार बताया था. 


 


कैसे हुई गांधी जी की मौत 


महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के पश्चिमी तट पर एक छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था. जबकि, 30 जनवरी 1948 की शाम जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी अचानक उनपर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियां दाग दी, और उनकी मौत हो गई.   


 


कौन-कौन से आंदोलन गांधी जी ने किए 


महात्मा गांधी जी ने 1917 में चंपारण आंदोलन, 1918 में खेड़ा आंदोलन, 1919 में खिलाफत आंदोलन, 1920 में असहयोग आंदोलन, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन सभी महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movements of Mahatma Gandhi ) का हिस्सा हैं.