`रामचरितमानस` की कॉपी जलाने पर लगा रासुका, आरोपी पहुंचे जेल, इन 10 धाराओं में केस दर्ज
Ramcharitmanas Controversy: पुलिस ने बताया कि जेल में बंद मोहम्मद सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा पर रासुका लगा है. आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 142, 143, 153 ए, 295, 295 ए, 298, 504, 505, 506 और 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया है.
'रामचरितमानस' की कॉपी जलाने (Ramcharitmanas pages burnt) के आरोप में दो लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका लगाया गया है. दरअसल, लखनऊ के ‘वृंदावन योजना’ सेक्टर में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 से ज्यादा लोगों पर ‘रामचरितमानस’ की कॉपी को जलाने का आरोप लगा था. अधिकारियों के मुताबिक इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की 10 धाराओं में केस दर्ज किया गया है.
एफआईआर में स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा देवेंद्र प्रताप यादव, सुजीत यादव, देवेंद्र प्रताप यादव, संतोष वर्मा, नरेश सिंह, सत्येंद्र कुशवाहा, मो. सलीम, सुरेश सिंह यादव, यशपाल सिंह समेत अन्य कई अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है.
इनमें से 5 को पुलिस ने 30 जनवरी को ही गिरफ्तार कर लिया था, जिनके नाम हैं, सत्येंद्र कुशवाहा, यशपाल सिंह लोधी, देवेंद्र प्रताप यादव, सुरेश सिंह और मोहम्मद सलीम. अब इनमें से दो लोगों पर 'रामचरितमानस' की कॉपी जलाने के आरोप में जेल में बंद दो लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया है.
पुलिस ने बताया कि ये दोनों लोग मोहम्मद सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा हैं. पुलिस 29 फरवरी को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 142, 143, 153 ए, 295, 295 ए, 298, 504, 505, 506 और 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया.
किसने की थी शिकायत?
पुलिस के मुताबिक, सतनाम सिंह लवी नाम के शख्स ने पीजीआई थाने में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बयान के आधार पर केस दर्ज किया गया. सतनाम सिंह ने अपनी शिकायत में कहा कि ‘रामचरितमानस’ के पन्नों की फोटोकॉपी जलाने से समाज में शांति और सद्भाव को खतरा हो सकता है.
सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ‘अखिल भारतीय ओबीसी महासभा’ संगठन के कार्यकर्ताओं ने पिछले रविवार को सांकेतिक विरोध प्रदर्शन के दौान कथित तौर पर ‘रामचरितमानस’ के पन्ने की फोटोकॉपी जलाई थीं.
इस मुद्दे पर महासभा के पदाधिकारी देवेंद्र प्रताप यादव ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘शूद्रों और महिलाओं के खिलाफ पुस्तक की आपत्तिजनक टिप्पणियों वाले पन्ने की फोटोकॉपी को सांकेतिक विरोध के तौर पर जलाया गया.’ साथ ही उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने पहले ही मांग की थी कि ‘रामचरितमानस’ में उल्लिखित आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटा दिया जाना चाहिए. लेकिन सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.
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