RCP Singh resigns: भ्रष्टाचार के आरोपों पर पार्टी द्वारा नोटिस भेजे जाने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने जनता दल (यूनाइटेड) से इस्तीफा दे दिया है. जनता दल (यूनाइटेड) ने शनिवार को आरसीपी सिंह को 'अचल संपत्तियों में विसंगतियों' को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया और उन्हें जल्द से जल्द अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा. इस्तीफा देने के बाद आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार कभी पीएम नहीं बन पाएंगे.


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संपत्ति को लेकर गंभीर आरोप


संपत्ति को लेकर आरोप लगने के बाद जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह से जवाब मांगा है. सिंह का हाल में राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो गया लेकिन पार्टी ने उन्हें फिर से सदन के लिए नहीं भेजा. कुशवाहा ने पत्र में लिखा है, ‘आप अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे माननीय नेता (मुख्यमंत्री) भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस (तनिक भी सहन नहीं करने)’ की नीति के साथ काम कर रहे हैं और वह अपने लंबे राजनीतिक करियर में बेदाग रहे हैं.’ पत्र के साथ पार्टी के अज्ञात कार्यकर्ताओं द्वारा सिंह के खिलाफ की गई शिकायत को भी संलग्न किया गया है. जद(यू) कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर 2013 और 2022 के बीच ‘बड़ी संपत्ति’ अर्जित की गई. पत्रकारों के एक सवाल पर जद (यू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘यह खुलासा करना उचित नहीं है कि आरोप किसने लगाए हैं. लेकिन स्पष्टीकरण मांगा गया है. पार्टी उनके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेगी.’


भाजपा ने बताया जदयू का आंतरिक मामला


बहरहाल, राज्य में गठबंधन सहयोगी भाजपा ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. भाजपा प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने एक बयान में कहा, ‘यह जद (यू) का आंतरिक मामला है. आदरणीय आरसीपी सिंह जी पर लगे आरोप जांच का विषय हैं. लेकिन हमें यह भी सुनना चाहिए कि उन्होंने जवाब में क्या कहा है.’ मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा, ‘बिहार के लोग जद (यू) से जवाब के हकदार हैं कि यह व्यक्ति इतने लंबे समय तक कैसे यह सब करते रहे. यदि उनके कुकर्मों में उनके आकाओं की मौन स्वीकृति थी, तो यह निंदनीय है. यदि उन्होंने उच्च पदाधिकारियों को अंधेरे में रखकर यह काम किया, तो इससे उनकी समझदारी पर सवाल उठता है.’


जीता था नीतीश कुमार का विश्वास


उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी आरसीपी सिंह ने 1990 के दशक के अंत में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए नीतीश कुमार का विश्वास जीता था. नीतीश कुमार तब केंद्रीय मंत्री थे. आरसीपी सिंह ने राजनीति में आने के लिए 2010 में वीआरएस लिया था. नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री के रूप में पहले पांच वर्षों के दौरान आरसीपी सिंह ने उनके प्रमुख सचिव के रूप में कार्य किया था.


पार्टी से चल रहे थे अलग-थलग


बीते कुछ महीनों से आरसीपी सिंह की अपनी ही पार्टी जेडीयू से खास बन नहीं रही थी. कहा जा रहा था कि आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार की सहमति के बिना मंत्री पद स्वीकार कर लिया, जो सहयोगी दलों के लिए भाजपा की सांकेतिक प्रतिनिधित्व की नीति के विरोध में था. बिहार के मुख्यमंत्री की नाखुशी जल्द ही स्पष्ट हो गई जब आरसीपी सिंह को पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने के लिए कहा गया. एक और राज्यसभा कार्यकाल से इनकार करने के कारण उन्हें अपना कैबिनेट बर्थ खोना पड़ा.


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(एजेंसी इनपुट के साथ)