Guidelines For Preparation: सरकार भी मान चुकी है कि कोटा समेत देशभर में Neet..IIT समेत अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले Coaching Centres...सरकारी नियम-कायदों को तोड़ रहे हैं..इसलिए शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के कोचिंग Institutes के लिए Guidelines जारी की हैं. ये Guidelines..प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले Coaching Centres के लिए बनाईं गईं हैं...इस Guideline में बड़े और महत्वपूर्ण नियमों के बारे में आपको बताते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेंटर्स...16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों को Admission नहीं देंगे .
अब छात्र अपने Secondary Exam यानी Tenth Class पास करने के बाद ही कोचिंग सेंटर में Admission ले सकेंगे .
कोचिंग सेंटर्स..अच्छे नंबर और रैंक की गारंटी नहीं दे सकते .
कोचिंग सेंटर्स में पढ़ाने वाले टीचर्स..कम से कम ग्रेजुएट होने चाहिए .
बच्चों पर अच्छी Performance का Pressure नहीं बनाया जाएगा .
स्कूल की Clasees के समय..छात्रों की Coaching Class नहीं होनी चाहिए .
एक दिन में पांच घंटे से ज्यादा की Coaching Class नहीं होनी चाहिए .
हर कोचिंग सेंटर को हफ्ते में एक दिन की छुट्टी रखनी होगी .
साप्ताहिक छुट्टी के अगले दिन कोई टेस्ट नहीं लिया जाएगा .
छात्रों के टेस्ट के रिजल्ट सार्वजनिक नहीं किये जाएंगे .



सरकार का कहना है कि नई गाइडलाइंस का मकसद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले ऐसे कोचिंग सेंटर्स की मनमानी पर नकेल कसना है . जो Coaching को Business समझते हैं और अपने इस Business को बढ़ाने के लिए कुछ भी करने से नहीं डरते . लेकिन अब नई गाइडलाइंस लागू होने के बाद...


कोचिंग सेंटर्स...भ्रामक वादे करने और अच्छे नंबरों की गारंटी देने जैसे दावे नहीं कर सकेंगे .
हर कोर्स की Tuition Fees Fix होगी, जिसकी जानकारी अपने वेबसाइट पर देनी होगी .
ज्यादा फीस वसूलने पर कोचिंग सेंटर का रजिस्ट्रेशन रद्द होगा .
तय समय से पहले कोर्स छोड़ने पर दस दिन के अंदर बची हुई फीस वापस करनी होगी .


शिक्षा मंत्रालय की इन नई Guidelines का पालन ना करने पर Coaching Centres पर पच्चीस हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा .और बार-बार Guidelines तोड़ने पर Coaching Centres का Registration रद्द भी किया जा सकता है . वैसे तो इन Guidelines का हर कोई स्वागत कर रहा है . लेकिन एक Point है..जिसपर सवाल उठ रहे हैं...सवाल ये है कि Coaching Centres में में 16 साल से कम उम्र के छात्रों को Admission ना देने का नियम सही है या गलत ?


इस सवाल को लेकर ही सबसे ज्यादा बहस हो रही है . Teachers..Parents और छात्रों की राय भी इसको लेकर बंटी हुई है . इस नियम का विरोध करने वाले मुख्य तौर पर तीन तरह के तर्क दे रहे हैं...


पहले से ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से सेलेक्शन के चांस बढ़ते हैं .
नौंवी क्लास से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिलती है .
स्कूलों में पढ़ाई का स्तर अच्छा नहीं है, इससे कोचिंग सेंटर्स में पढ़ाई से फायदा होता है .


लेकिन इस नियम का मकसद छात्रों के मानसिक तनाव को कम करना ही है...और इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि छोटी उम्र से ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से छात्रों में Mental Pressure बढ़ता है...


सिर्फ पिछले वर्ष यानी 2023 में ही देश की कोचिंग फैक्ट्री..कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों की आत्महत्या के 26 मामले दर्ज हुए हैं. दिसंबर 2022 में हमने आपको कोटा में चल रही कोचिंग फैक्ट्री पर अपनी स्पेशल सीरीज़ रियल कोटा फैक्ट्री दिखाई थी . जिसमें हमने कोटा में छात्रों की Suicidal Tendency की वजह को खोजा था .


Real कोटा फैक्ट्री में हमने आपको उन छात्रों से मिलवाया था जो इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेस की परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा पहुंचते हैं . और फिर यही फैसला उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित होता है . क्योंकि कोटा में उनका सामना होता है जिंदगी की उस सच्चाई से..जिसके बारे में उन्होंने कभी तैयारी की ही नहीं होती . कोटा में उन्हीं बच्चों के बीच पहुंचकर जी मीडिया ने रियल कोटा फैक्ट्री का रियलिटी चेक किया है . हमारी इस मुहिम के दौरान कोटा में पढ़ने वाले बच्चों ने हमारे साथ अपने दिल की वो बातें शेयर की थीं...जो शायद वो किसी और से साझा नहीं कर सकते . ना अपने टीचर्स से और ना ही अपने पैरेंट्स से .


कोचिंग सेंटर्स के लिए आईं नई सरकारी गाइडलाइंस की कितनी सख्त जरूरत है...हमारी रिपोर्ट देखकर आपको ये भी समझ में आया होगा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को होने वाले मानसिक तनाव के लिए सिर्फ कोचिंग सेंटर्स ही जिम्मेदार नहीं हैं . बल्कि वो Parents भी जिम्मेदार हैं जो अपने बच्चे पर प्रेशर डालते हैं कि वो प्रतियोगी परीक्षा Clear करे . लेकिन इस सबसे बढ़कर प्रतियोगी परीक्षाओं के तनाव का मुख्य कारण है - भारत के शैक्षिक संस्थानों में Low Acceptence Rate .


Acceptance Rate का मतलब है कि अगर सौ बच्चे एक प्रतियोगी परीक्षा में हिस्सा लेते हैं तो उनमें से औसतन कितने बच्चों का admission होगा...


IIT की Acceptance Rate सिर्फ 0.5 से 2 प्रतिशत है...यानी अगर 100 छात्र.. IIT की परीक्षा देते हैं तो उनमे से 1 या 2 छात्र ही IIT में दाखिला ले पाते हैं.
इसी तरह UPSC की परीक्षा में Acceptance Rate सिर्फ 0.2 प्रतिशथ है. यानि अगर 500 विद्यार्थी UPSC की परीक्षा देंगे तो उनमें से सिर्फ एक छात्र ही Select होता है . .
इसी तरह अगर 100 छात्र...CAT की परीक्षा देते हैं तो उनमे से 2 छात्र ही top IIM schools में दाखिला ले पाते हैं. और NEET की परीक्षा में Acceptance Rate 7 से 8 प्रतिशत है . सरकारी मेडिकल कॉलेजों में तो Acceptance Rate सिर्फ 2.8 प्रतिशत है .


आपको जानकर हैरानी होगी की भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों की Acceptance Rate..अमेरिका की Top Universities की Acceptance Rate से भी कम है...अमेरिका की Top University Harvard University की acceptance rate लगभग 8 प्रतिशत है. इसी तरह Stanford University की Acceptance Rate लगभग 4 प्रतिशत है....मतलब साफ है भारत की Top Universities में दाखिला पाना और प्रतियोगी परीक्षाओं में Select होना बेहद कठिन है...इसलिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को मानसिक तनाव होना तो लाजिमी है...इसलिए हमें लगता है कि सिर्फ कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइंस बना देने से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों में मानसिक तनाव की समस्या दूर नहीं हो सकती . लेकिन गाइडलाइंस बनने से कोचिंग सेंटर्स की मनमानी पर लगाम लगेगी..इससे कोई इंकार भी नहीं कर सकता.