SEBI Chairperson Madhabi Puri Buch News: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) पर भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने शनिवार 14 सितंबर को नए सवालों और कथित सबूतों के हिसाब से निशाना साधा है. कांग्रेस ने माधवी बुच के दावों को गलत बताते हुए कहा कि उन्होंने पूरी गंभीरता के साथ सेबी के चेयरपर्सन की कुर्सी पर बैठकर संगठित तरीके से पैसा कमाया. कांग्रेस ने माधवी बुच के जवाब (Madhabi Puri Buch Reply) और उनके दावों को गलत बताते हुए कहा, 'SEBI की फुल-टाइम मेंबर रहते हुए भी माधवी बुच और उनके पति अपने स्वामित्व वाली एडवाइजरी कंपनी 'अगोरा प्राइवेट लिमिटेड' (Agora advisory private limited) से कमाई करते रहे.'


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कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, 'हम दो सितंबर से हम माधवी मैडम को लेकर खुलासे कर रहे हैं. 16 करोड़ 80 लाख आईसीआईसीआई से (ICICI बैंक और ICICI प्रूडेंशियल) से उन्होंने अलग-अलग वक्त में अलग- अलग कैटेगिरी में अर्जित किए. ICICI के कई केस सेबी की चौखट पर थे. 3 सितंबर को ICICI ने कुछ जवाब दिए. 6 सितंबर को हमने कुछ और सवाल किए, जिनका जवाब अभी नहीं आया है. 6 सितंबर को हमने एक खुलासा किया कि कैसे माधवी जी और उनके पति की एक प्रॉपर्टी में कैरल इंफो (Carol Infos) नाम की एक कंपनी उनकी प्रॉपर्टी किराए पर ले रखी है और उसके केस भी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के सामने जांच के लिए थे. 2018 से 2024 के बीच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्णकालिक सदस्य और चेयरपर्सन रहते हुए माधवी पुरी बुच वॉकहार्ट से संबद्ध कंपनी कैरोल इंफो सर्विसेज से 2.16 करोड़ रुपये की किराये की इनकम प्राप्त कर रही थीं. ये जानकारी पब्लिक डोमेन में है कि मुंबई स्थित वॉकहार्ट की 2023 के दौरान भेदिया कारोबार सहित कई मामलों की जांच सेबी कर रही है. वॉकहार्ट के कुछ केस भी सेबी के पास पेंडिंग थे'.


सेक्शन पांच और कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट


प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेबी चीफ के जवाबों को सच्चाई से पल्ला झाड़ने की कोशिश बताते हुए पवन खेड़ा ने ये भी कहा, '10 सितंबर को खुलासा किया कि मैडम ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि अगोरा एडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड निष्क्रिय हो गई थी. हमारे आरोपों के खंडन में उन्होंने लिखा कि जब वो SEBI में चली गईं, तब से यह कंपनी Dormant (निष्क्रिय) है. लेकिन उस कंपनी में अभी भी 99% हिस्सेदारी उनकी है. उनका ये कहना कि कंपनी डार्मेंट हो गई थी वो झूठ था क्योंकि अगोरा, उसके बाद भी कई कॉरपोरेट्स को और बड़ी बड़ी कंपनियों को सलाह दे रही थी. वो उन कंपनियों को भी सलाह दे रही थी जिनके केस सेबी में खुले थे. इसके अलावा मैडम 99% शेयर होल्डर थीं. महेंद्रा एंड महेंद्रा, डॉ, रेड्डी लैब और पिडिलाइट सब ने हमें छोटा-छोटा जवाब दिया और उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने अगोरा को कंसल्टेशन फीस दी है. क्योंकि ये पेमेंट्स माधवी जी के पति की कंपनी वैसे तो मैडम उसकी शेयर होल्डर हैं, तो इस तरह उन्होंने  सेबी के नियमों का खुला उल्लंघन किया क्योंकि जो पेमेंट कंसल्टेंसी के जरिये आईं वो सेक्शन पांच कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट मेंबर्स ऑफ बोर्ड 2008 की अवहेलना करती हैं. यही हमारा प्वाइंट था जो सही साबित हुआ. महेंद्रा एंड महेंद्रा ने जवाब नहीं दिया है इस बात का कि जो धवल जी को सैलरी और अगोरा को जो पेमेंट की गई क्या उसके बारे में उन्हें नहीं पता था कि धवल साहब कौन हैं और उनकी पत्नी सेबी में हैं. अगोरा के पेमेंट करते समय केवाईसी (KYC) नहीं हुआ था क्या? 4.87 करोड़ रुपए बुच साहब को पर्सनली दिया. 2 करोड़ 59 लाख अगोरा एडवाइजरी को दिया, तथाकतिथ डॉरमेंट कंपनी को दिया'.


शेयर मार्केट में जो लोग पैसा लगाते हैं हमें उनकी फिक्र: कांग्रेस


खेड़ा ने कहा, 'हमारे आरोपों पर मैडम ने जो जवाब दिया वो समझ से परे है. जवाब देते समय उन्होंने अपनी काबिलियत और डिग्री गिनाईं, मैडम हम आपकी डिग्रियों की कदर करते हैं, हमें आपसे कोई आपत्ति और पर्सनल और दुश्मनी से नहीं है. लेकिन हमे सेबी से और उसके चेयरपर्सन से शिकायत पूछने का हक है क्योंकि हमारे सवाल सेबी चेयरपर्सन की कुर्सी और संस्था से हैं क्योंकि शेयर मार्केट में आम आदमी का पैसा भी लगता है. नुकसान की कीमत वो बेचारे छोटे लोग चुकाते हैं जो शेयर मार्केट में निवेश करते हैं.


पहला हमला- 'लिस्टेड कंपनी में ट्रेडिंग'- सेक्शन 6 ऑफ सेबी कोड कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट फॉर मेंबर्स 


खेड़ा ने कहा, 'हमारा आज का खुलासा पहला ये है कि 2017 से 2023 के बीच में माधवी जी होलटाइम मेंबर और चेयरमैन बनने तक वो लिस्डेट सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग कर रही थीं. कुल 36 करोड़ 96 लाख से ज्यादा यानी करीब करीब 37 करोड़ रुपए की ट्रेडिंग की ट्रेडिंग 6 साल में की. अब मैडम आप कहेंगी कि तो क्या हुआ? आपके इस काउंटर पर हमारा सवाल आपसे ये है - आपके द्वारा की गई ये ट्रेडिंग सेक्शन 6 ऑफ सेबी कोड कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट फॉर मेंबर्स की अवहेलना और वायलेशन है'. 



आगे खेड़ा ने कहा, 'आप अपने जवाब में लिखती हैं कि मैंने ये सब पहले बता दिया था. मेरा सवाल ये है कि आप कह रही थी कि ये अगोरा डॉरमेंट कंपनी है. जबकि ऐसा नहीं था. फिर आपने आगे कहा था कि जब मैं अपना घर किराए में दे रही थीं तब आपको यह नहीं पता था कि वो कंपनी किसकी है, मैडम जबकि आपका चपरासी भी गूगल करके बता देता कि वहां कौन रहता था? वोकार्ड के लोग थे या कौन था.'


SEBI चीफ पर हमलावर होते हुए खेड़ा ने यह बताते की कोशिश करी कि मैडम का हर जवाब कैलकुलेटेड और अजीब इत्तेफाक से जुड़ा है. इसी वजह से उन्होंने सेबी चीफ से तारीखें पूछने के बजाए सीधे सरकार उन तारीखों को जानने की मांग की है कि माधवी पुरी ने कब-कब ये जानकारियां सरकार की किस-किस एजेंसी को लिखित में दी थी.


LIVE: Congress party briefing by Shri @Pawankhera at AICC HQ. https://t.co/2e3UJG43yj



दूसरा हमला: फॉरेन एसेट्स 


2017-21 के बीच में आपने अपनी फॉरेन एसेट्स के बारे  में सरकार के किस कंपनी को सूचना दी थी. मिस माधवी बुच, अगोरा से जुड़ी एक कंपनी अगोरा पार्टनर पीटीई सिंगापुर क्या आप उससे संबंधित थीं. क्या आप उनके बैंक अकाउंट में हस्ताक्षरकर्ता नहीं थीं. मैडम आपने फंड्स विदेशों के जिसमें उन्होंने निवेश किया है.... चीन की कंपनियों तक मैडम ने निवेश किए हैं. चीन के प्रोडक्ट और अलीबाबा क्यों लेकिन चीनी कंपनी में सेबी की चेयरपर्सन चाइनीज फंड में पैसा लगा रही हैं. क्या पीएम को ये पता है कि सेबी चेयरपर्सन लिस्डेट कंपनियों में ट्रेडिंग कर रही थी क्या नहीं, अगर है तो पीएम उस पर क्या एक्शन लेंगे...ये प्रधानमंत्री से हम जानना चाहते हैं...'


इस तरह कांग्रेस ने आज फिर सेबी चेयरपर्सन पर सवाल उठाते हुए सीधे प्रधानमंत्री से जवाब की मांग की है.