Mughal History: बादशाह अकबर का इस गायिका से क्या था संबंध? बस इतिहासकारों को होगी ये जानकारी
Mughal Emperor Akbar: भारतीय इतिहास का एक बड़ा हिस्सा मुगलों से जुड़ा है. जिसकी शुरुआत पानीपत की पहली लड़ाई से हुई थी. उस युद्ध में जिस एक पक्ष की जीत होती है. उसने 300 साल तक भारतीय सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया. मुगल इतिहास में आज बात अकबर की जिसे भारत की एक बेटी ने चौंका दिया था.
Badshah Akbar and Rai Parveen: भारत के इतिहास को पसंद करने वाले बहुत से लोगों में मुगलों को लेकर एक अलग ही क्रेज दिखता है. दरअसल मुगल काल से जुड़ी चीजों को जानना या उस पर बहस करना एक इंटरेस्टिंग विषय है. ऐसे में आज भी मुगल बादशाहों की निजी जिंदगियों के किस्से अक्सर चर्चा का विषय बनते रहते हैं. इस कड़ी में आज बात बादशाह अकबर के साथ उस मशहूर महिला कलाकार की, जिनके आगे अकबर की बोलती बंद हो गई थी.
अकबर के दरबार में छाया सन्नाटा
माना जाता है कि ऐसे मौके बेहद कम आए होंगे जब अकबर के दरबार में इस तरह का मामला सामने आया होगा. अकबर अपने दरबार में अक्सर अपने नौ रत्नों के साथ बैठता था. वो कला और कलाकारों की बड़ी कद्र करता था. इतिहासकारों के हवाले से आई रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसे ही एक मौके पर अकबर के दरबार में चल रहे एक आयोजन के दौरान राय प्रवीण नाम की कलाकार के कुछ शब्दों को सुनकर दरबार में सन्नाटा छा गया. दरअसल राय प्रवीण ने कहा- 'विनती राय प्रवीण की, सुनिए साह सुजान, झूठी पातर भखत हैं, बायस-बारी-स्वान'.
जिसका सीधा मतलब ये निकाला गया था कि इन पंक्तियों के जरिए एक महिला ने सबसे ताकतवर बादशाह की तुलना कौवा और स्वान (कुत्ता) जैसे जीवों से कर दी थी. इसके बाद कुछ दरबारी सोच रहे होंगे कि एक अदनी सी कलाकार की इतनी हिम्मत जो बादशाह सलामत की शान में गुस्ताखी कर सके. शायद कुछ लोगों को ये ख्याल भी आया हो कि बस अब उसकी गर्दन कलम होने वाली है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
अकबर का आदेश सभी को हैरान कर गया
इस मिसाल को सुनने के बाद अकबर ने नाराज होने के बजाए, राय प्रवीण के लिए एक महल बनवाने का आदेश दिया और पूरे शाही सम्मान के साथ वापस ओरछा भेज दिया था. कहा जाता है कि अकबर समझ गया था कि यह कलाकार किसी से प्रेम करती है, जिसका सम्मान करना चाहिए.
सुंदरता का कायल था अकबर
राय प्रवीण एक महान कलाकार होने के साथ बहुत खूबसूरत थीं. उनके बारे में सुनकर ही अकबर ने उन्हें बुलावा भेजा था. जहां अपनी काबिलियत दिखाने के बाद राय प्रवीण ने कहा, 'बादशाह, 'मेरी मंशा आपको ठेस पहुंचाने की नहीं थी. मैंने सिर्फ ये बताया कि मैं किसी और की नहीं हो सकती क्योंकि मैं सिर्फ इंद्रजीत सिंह की हूं, तो दूसरे की जूठन को कौन खाता है.' गौरतलब है कि इंद्रजीत ओरछा रियासत के राजकुमार थे, जिन्होंने राय प्रवीण के लिए एक महल बनवाया था. हांलाकि, इस तथ्य को लेकर विद्वानों में एक राय नहीं है. क्योंकि कहा जाता है कि ये महल अकबर ने बनवाया था.
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