UP Politics News: सरोजिनी नगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने धार्मिक ग्रंथों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विधायी ढांचे पर फिर से काम करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. भारतीय समाज ने भागवत गीता और रामचरितमानस से लेकर कुरान, बाइबिल और गुरु ग्रंथ साहिब तक सभी धार्मिक ग्रंथों को सम्मान और श्रद्धा दी है. 


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उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब कुछ समूहों द्वारा धार्मिक ग्रंथों पर हमला किया गया या उनका उपहास किया गया. ऐसा कोई भी कदम राष्ट्र के सामाजिक ताने बाने को बाधित करता है. वर्तमान में ऐसा कोई विशिष्ट कानून प्रावधान नहीं है जो धार्मिक ग्रंथों के धार्मिक महत्व को पहचानता हो. न ही कोई विशिष्ट प्रावधान है जो उनकी अवमानना या अपमान को अपराध मानता हो.


भारत के संविधान की 7वीं अनुसूची की प्रविष्टि1, सूची 3 के तहत, किसी नए अपराध को अपराध घोषित करने की राज्य की विधायी क्षमता है. यदि कोई राज्य धार्मिक ग्रंथों की अवमानना को रोकने के लिए विशिष्ट कानून बनाना चाहता है, तो समवर्ती सूची की उपरोक्त प्रविष्टि के तहत ऐसा किया जा सकता है. आपराधिक प्रक्रिया के सभी मामले भी राज्य विधानमंडल के विधायी क्षेत्र के अंतर्गत हैं. इस प्रकार दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में संशोधन पारित किया जा सकता है, जो पूरे राज्य पर लागू होगा.


उन्होंने कहा कि धार्मिक ग्रंथों की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश में द विकल्प उपलब्ध हैं. पहला- आईपीसी 1860 और सीआरपीसी 1973 में विशिष्ट संशोधन अधिनियमित करना. दूसरा- धार्मिक ग्रंथों की सुरक्षा के लिए विशिष्ट कानून बनाना. धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी या अपमान रोकने के लिए एक विधेयक का परिचय एक नए दंड विधान के माध्यम से किया जा सकता है. यह कानून विशिष्ट धार्मिक ग्रंथों पर भी लक्षित हो सकता है.