नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में जारी किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के बीच बीजेपी (BJP) के एक और सहयोगी ने उसका साथ छोड़ दिया. सरकार अपने रुख पर कायम हैं तो किसान संगठन अपने रुख पर अड़े हैं. ऐसे में गतिरोध के बीच एनडीए के सहयोगी दल जो अभी तक बागी तेवर अपनाए हुए थे वो धीरे धीरे उसका साथ छोड़ रहे हैं. अकाली दल के बाद अब RLP ने NDA से अलग होने का फैसला सुना दिया.


NDA से बाहर हुआ लेकिन कांग्रेस ने नहीं होगा गठबंधन बोले हनुमान बेनीवाल


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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) संयोजक हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने किसान आंदोलन के बीच कहा कि शिवसेना और अकाली दल पहले ही NDA छोड़ चुके हैं और अब RLP ने भी एनडीए छोड़ने का मन बना लिया है. उन्होंने कहा, 'मैं एनडीए छोड़ने का ऐलान करता हूं. मैंने तीन कृषि कानूनों के विरोध में NDA छोड़ दिया है. ये कानून किसान विरोधी हैं. मैंने एनडीए छोड़ दिया है लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करूंगा.' गौरतलब है कि RLP से पहले कृषि कानूनों के विरोध में अकाली दल भी NDA छोड़ चुकी है.


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2 लाख किसानों के साथ किया था दिल्ली घेराव का ऐलान


RLP के संयोजक और नागौर (Nagore) से सांसद हनुमान बेनीवाल ने 26 दिसंबर को अपनी पार्टी के बैनर तले दो लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली तक मार्च निकालने का ऐलान किया था. हांलाकि ऐसा करने के बजाए उन्होंने जो आखिरी फैसला सुनाने की बात कही थी उस पर कायम रहते हुए उन्होंने NDA से अलग होने का ऐलान कर दिया. आज हनुमान बेनीवाल ने कहा, 'कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन हीं होगा, सारे चुनाव अकेले लड़ेंगे और 2023 का चुनाव भी RLP अपने दम पर लड़ेगी.


 


कौन हैं हनुमान बेनीवाल?


हनुमान बेनीवाल की गिनती राजस्थान के कद्दावर और जमीनी नेताओं में होती है. जनता के बीच बेहतर छवि और मिलनसारिता की वजह से वो नागौर से सांसद चुने गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की नीतियों का मुखर समर्थक होने की वजह से बेनीवाल को कभी पीएम मोदी का हनुमान कहा जाने लगा था. हालांकि नए कृषि कानूनों को लेकर बात ऐसी बिगड़ी की वो कई हफ्तों से NDA के खिलाफ हमलावर बने हुए थे. इससे पहले बेनीवाल ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार के पास 303 सांसद हैं जिस वजह से वह कृषि कानूनों को वापस नहीं ले रही है.


NDA के सहयोगी दलों में BJP सबसे बड़ी पार्टी है, जो किसानों को कृषि कानून के लाभ समझाने की कोशिशों में लगी है. सरकारी कोशिशों के बीच किसान संगठन टस से मस होने को तैयार नहीं है. इस मुद्दे पर शिवसेना, अकाली दल समेत अन्य विपक्षी दलों के बयानों के बीच हनुमान बेनीवाल का फैसला BJP के लिए किसी झटके से कम नहीं है.    


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