Rahul Gandhi: राहुल गांधी से ED की पूछताछ पर आया रॉबर्ट वाड्रा का बयान, कही ये बड़ी बात
Robert Vadra on National Herald Case: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा (Robert Vadra) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ED के समक्ष पेशी को लेकर अपने फेसबुक पेज के जरिए बड़ा बयान दिया है.
Robert Vadra on ED Inquiry: नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ को लेकर रॉबर्ट वाड्रा की प्रतिक्रिया सामने आई है. राहुल गांधी की इस मुश्किल घड़ी में उनका ढांढस बंधाते हुए रॉबर्ड वाड्रा ने कहा कि सत्य की जीत होगी. उसे कोई दबा नहीं सकता है.
रॉबर्ट वाड्रा ने कही बड़ी बात
रॉबर्ट वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, 'राहुल आप सभी निराधार आरोपों से बरी हो जाएंगे. मुझे 15 हलफनामे मिल चुके हैं और मैं प्रवर्तन निदेशालय का सामना कर चुका हूं. मैंने उनके हर एक सवाल का जवाब दिया है.'
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सच की जीत होगी
अपनी पोस्ट में उन्होंने आगे ये भी लिखा कि मैंने उनके हर एक सवाल का जवाब दिया है और 23 हजार से अधिक डाक्यूमेंट्स जमा किए हैं. जो कि मेरी अब तक की कमाई से जुड़े थे. मुझे पूरा भरोसा है कि सच्चाई की जीत होगी. वाड्रा ने आगे कहा, 'इस प्रचलित व्यवस्था के इस उत्पीड़न का वो प्रभाव नहीं होगा, जैसा वे चाहते हैं. यह सरकार देश के लोगों को उत्पीड़न के इन तरीकों से नहीं दबाएगी, यह हम सभी को मजबूत इंसान ही बनाएगी. हम यहां हर दिन सच्चाई के लिए लड़ने के लिए हैं और देश के लोग हमारे साथ खड़े हैं.'
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में की थी. इस नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ( Associated Journals Limited) नाम की कंपनी करती थी. इस कंपनी की स्थापना 1937 में की गई थी और नेहरू के अलावा 5000 स्वतंत्रता सेनानी इसके शेयरहोल्डर्स थे. ये कंपनी दो और दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन करती थी. यह कंपनी किसी एक व्यक्ति के नाम पर नहीं थी. 1942 में अंग्रेजों ने इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया. 1945 में इस अखबार को फिर से शुरू किया गया. 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने अखबार के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया. लेकिन अखबार का प्रकाशन जारी रहा और कई बड़े पत्रकार बाद में इसके संपादक बने.
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आगे 1962-63 में 0.3365 एकड़ जमीन दिल्ली-मथुरा रोड पर 5-A बहादुर शाह जफर मार्ग पर AJL को आवंटित की गई. 2008 में अखबार का प्रकाशन फिर बंद कर दिया गया. वजह बताई गई कि कंपनी घाटे में है जो अखबार संचालन का खर्च नहीं उठा पा रही है. 2010 में इस कंपनी के 1057 शेयर होल्डर्स थे. 2011 में घाटे में चल रही इस कंपनी की होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई. यंग इंडिया लिमिटेड की शुरुआत साल 2010 में हुई. राहुल गांधी तब समय कांग्रेस महासचिव थे और वही इस कंपनी के डायरेक्टर भी बने थे. इस कंपनी की स्थापना 5 लाख रुपये से की गई थी. इस कंपनी का 38 फीसदी शेयर राहुल गांधी के पास, 38 फीसदी शेयर उनकी मां सोनिया गांधी के पास थे. बाकी के 24 फीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे, और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के पास थे.
कांग्रेस का बयान
कांग्रेस का कहना है कि ये अलाभकारी कंपनी है और इसके शेयर धारकों और डायरेक्टर्स को कोई लाभांश नहीं दिया गया है. लेकिन 2012 में बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने निचली अदालत में एक शिकायत दर्ज करवाई. उन्होंने आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में विश्वासघात किया गया. इसमें कांग्रेस के कुछ नेता शामिल थे. स्वामी का आरोप था कि YIL ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति पर गलत तरीके से कब्जा किया था.