Robot treatment AIIMS: एम्स (AIIMS) में रोबोट के जरिए केवल इलाज नहीं होगा. वहां सभी डॉक्टरों को रोबोट के जरिए सर्जरी करने और प्रोसीजर करने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या एम्स में रोबोट के आ जाने से वहां इलाज की स्पीड भी रोबोटिक हो जाएगी और क्या वेटिंग कम हो सकेगी. तो आने वाले वक्त में ऐसा भी हो सकता है. एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक इस सर्जरी के बाद मरीज को हफ्ते भर में मिलने वाली छुट्टी दो दिन में मिल सकती है. जिससे एम्स में वेटिंग की‌ समस्या कम हो सकती है.


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एम्स की डीन डॉक्टर मीनू वाजपेई का कहना है कि दुनिया के कई डॉक्टर सर्जरी और कई प्रोसीजर में रोबोट्स का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उसका मकसद इलाज में स्पीड लाना नहीं होता. दरअसल इंसानी हाथ के मुकाबले रोबोट के हाथ ज्यादा बारीक और मशीनी होते हैं. शरीर में मांसपेशियों, तंत्रिकाओं यानी नर्व्स और ब्लड के बीच मौजूद जटिल अंगों या जगहों तक रोबोट की उंगलियां आसानी से और कम जगह में पहुंच सकती हैं. इंसानी हाथों को वहीं पहुंचने के लिए ज्यादा जगह चाहिए होती है.


एम्स और मेडट्रोनिक की जुगलबंदी


एम्स में जो रोबोट अभी लाया गया है वो मेडट्रोनिक कंपनी के सहयोग से लाया गया है. एम्स के सभी डॉक्टरों को इस रोबोट के माध्यम से सभी प्रोसीजर रोबोट से करने की ट्रेनिंग दी जाएगी. ये ट्रेनिंग एम्स में काम कर रहे सभी रेजिडेंट डॉक्टरों को दी जाएगी. वहीं बाहर काम कर रहे 50% डॉक्टरों को भी इन रोबोट के माध्यम से ट्रेनिंग देने की व्यवस्था एम्स ने की है.


इस सर्जरी में इंफेक्शन का खतरा कम


देश में रोबोटिक सर्जरी में महारत रखने वाले डॉक्टरों की संख्या काफी कम है. ऐसे में इन रेजिडेंट डॉक्टरों के ट्रेनिंग पाने के बाद ये संख्या भी बढ़ेगी. हालांकि रोबोटिक सर्जरी काफी महंगी होती है लेकिन इस सर्जरी में इंफेक्शन का खतरा घट जाता है. कम जगह पर कट लगने से मरीज भी जल्दी रिकवर हो पाता है.