Rohini Ghawri: जिनेवा में पीएचडी की छात्रा रोहिणी घावरी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 52वें सम्मेलन में अपने भाषण को लेकर सुर्खियों में छाई हुई हैं. घावरी इंदौर के एक सफाई कर्मचारी की बेटी हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति आदिवासी समुदाय से आते हैं; प्रधानमंत्री ओबीसी समुदाय से आते हैं. भारत का संविधान इतना मजबूत है कि पिछड़ी जातियों के लोग देश का नेतृत्व कर सकते हैं और हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों में पढ़ सकते हैं.


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उन्होंने कहा कि उन्हें भारत सरकार से एक करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली है. इसके बाद से ट्विटर पर 1 करोड़ ट्रेंड करने लगा. रोहिणी ने कहा कि भारत में वैसा माहौल नहीं है जैसा पश्चिम में दिखाया जाता है. उन्होंने कहा, "कुछ देश, एनजीओ और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र भी कभी-कभी भारत की गलत छवि पेश करते हैं. भारत में कुछ जाति-संबंधी मुद्दे हैं, लेकिन अच्छी चीजें भी हैं. एक दलित के रूप में, मैं इसका एक प्रमुख उदाहरण हूं."


रोहिणी घावरी खुद को अंबेडकरवादी कहती हैं. वह जेनेवा में पीएचडी कर रही है. उनके पिता इंदौर में सफाई कर्मचारी हैं. कई सोशल मीडिया यूजर्स ने उनके ट्विटर प्रोफाइल से स्क्रीनशॉट शेयर किए जिसमें मनुस्मृति जलाने की वकालत करने वाले ट्वीट्स दिखाए गए हैं. कुछ ने कहा कि केवल एक छात्र को इतनी बड़ी राशि से मदद करने के बजाय, केंद्र कई छात्रों की मदद कर सकता था.


एक यूजर ने घावरी के ट्वीट को टैग करते हुए लिखा, "इस दलित महिला को भारत सरकार से उच्च शिक्षा के लिए 1 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है और अब भी आरोप है कि यह सरकार निम्न वर्ग के लोगों से नफरत करती है."


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(एजेंसी इनपुट के साथ)