Zee News DNA on RSS on Lok Sabha Election Result 2024: अब केंद्र में मोदी सरकार की वापसी भी हो चुकी है. ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भी नई सरकार का शपथ ग्रहण हो चुका है लेकिन चुनाव नतीजों का विश्लेषण अभी भी जारी है. दो दिन पहले ही RSS प्रमुख मोहन भागवत ने नसीहतें देने वाला बयान दिया था. हालांकि मोहन भागवत ने कहीं भी किसी पार्टी या व्यक्ति का नाम नहीं लिया था. लेकिन अब RSS के मुखपत्र The Organiser में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के चुनावी प्रदर्शन को लेकर एक लेख छपा है. ये लेख RSS सदस्य रतन शारदा ने लिखा है. जिसका शीर्षक है - Modi 3.0: Conversation for course correction.


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'बीजेपी को अपनी राह में सुधार करने की जरूरत'


लेख में रतन शारदा ने बीजेपी पर कई कटाक्ष किये हैं. उन्होंने लिखा कि लोकसभा चुनाव का परिणाम इस बात का संकेत है कि बीजेपी को अपनी राह में सुधार करने की जरूरत है. आम चुनावों के नतीजे अति आत्मविश्वासी बीजेपी कार्यकर्ताओं और कई नेताओं के लिए एक रियलिटी चेक के रूप में आए हैं. रतन शारदा के मुताबिक लक्ष्य ग्राउंड पर कड़ी मेहनत से हासिल होते हैं, सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करने से नहीं. बीजेपी कार्यकर्ता अपने बुलबुले में खुश थे, मोदीजी के आभामंडल से झलकती चमक का आनंद ले रहे थे. बीजेपी कार्यकर्ताओं को लग रहा था कि जीत तो हमारी ही होगी.


'RSS, बीजेपी की कोई Field Force नहीं' 


RSS सदस्य रतन शारदा ने लेख में बीजेपी और RSS के संबंधों पर भी बात की है. इस आरोप का जवाब भी दिया है कि इस चुनाव में RSS ने बीजेपी के लिए काम नहीं किया. रतन शारदा लिखते हैं कि RSS, बीजेपी की कोई Field Force नहीं है. वास्तव में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के पास अपने कार्यकर्ता हैं. मतदाताओं तक पहुंचना, पार्टी का एजेंडा समझाना, साहित्य और वोटर कार्ड बांटना आदि जैसे नियमित चुनावी काम उसी की जिम्मेदारी है. RSS लोगों को उन मुद्दों के बारे में जागरूक करता रहा है, जो उन्हें और देश को प्रभावित करते हैं.


'स्थानीय सांसद या विधायक से मिलना मुश्किल'


रतन शारदा ने लिखा है कि 1973 से 1977 के दौर को छोड़कर RSS ने सीधे राजनीति में हिस्सा नहीं लिया. RSS के मुखपत्र The Organiser में अपने विचार लिखते हुए रतन शारदा ने बीजेपी सांसदों और मंत्रियों की भी आलोचना की है..लेख में कहा गया है कि आम नागरिक की सबसे बड़ी शिकायत स्थानीय सांसद या विधायक से मिलना मुश्किल या असंभव होना है. मंत्रियों की तो बात ही छोड़िए.


'अपने निर्वाचन क्षेत्रों में क्यों नहीं दिखते सांसद- विधायक'


लेख में सवाल उठाए गए हैं कि बीजेपी के चुने हुए सांसद और मंत्री हमेशा व्यस्त क्यों रहते हैं? वो अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कभी दिखाई क्यों नहीं देते? जनता के सवालों और संदेशों का जवाब देना इतना मुश्किल क्यों है? RSS के मुखपत्र The Organiser में रतन शारदा के इस लेख में बीजेपी के खराब प्रदर्शन का कारण आत्मविश्वास बताया गया है. अब इस लेख के जरिये विपक्ष ने बीजेपी को कैसे घेरना भी शुरु कर दिया है. विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि अब आरएसएस ने भी स्वीकार कर लिया है कि पीएम मोदी और उनकी सरकार अहंकार से भरे हुए थे, जिसकी जनता ने सजा दे दी है.