RSS News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है. हालांकि, होसबाले ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाए गए हैं.


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होसबाले ने संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा, '...हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपये से भी कम कमा रहे हैं. गरीबी हमारे सामने एक राक्षस-जैसी चुनौती है. यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को खत्म किया जाए.’


असमानता और बेरोजगारी दो चुनौतियां
आरएसएस नेता ने कहा कि गरीबी के अलावा असमानता और बेरोजगारी दो चुनौतियां हैं जिनसे निपटने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं. श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत आंकी गई है ... हमें रोजगार पैदा करने के लिए न केवल अखिल भारतीय योजनाओं की आवश्यकता है, बल्कि स्थानीय योजनाओं की भी आवश्यकता है.’


कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने का सुझाव
होसबाले ने कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कौशल विकास क्षेत्र में और अधिक पहल करने का भी सुझाव दिया.


आय विषमता के संदर्भ को लेकर होसबाले ने सवाल किया कि क्या यह अच्छा है कि शीर्ष छह अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, देश की आधी आबादी को कुल आय का केवल 13 प्रतिशत ही मिलता है.


(इनपुट - भाषा)


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