RSS ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले को बंगाल में चुनाव बाद की हिंसा से जोड़ा, कही ये बात
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले को संघ पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा से जोड़कर देख रहा है. संघ की राज्य इकाई के महासचिव जिष्णु बसु का कहना है कि यदि आप बांग्लादेश में हिंसा के तौर-तरीकों को देखें, तो समझ आ जाएगा कि घटना के पीछे का कारण पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा है.
कोलकाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मानना है कि बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं पर हुए हमले (Attack on Hindus) की वजह पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा है. संघ की राज्य इकाई ने बंगाल में हुई हिंसा को पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों के लिए ट्रिगर के रूप में जिम्मेदार ठहराया और इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखने के लिए बुद्धिजीवियों को फटकार लगाई है.
‘हिंसा का तरीका दर्शाता असलियत’
RSS के राज्य महासचिव जिष्णु बसु (Jishnu Basu) ने दावा किया कि इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद हिंदुओं पर हमले से बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को प्रोत्साहित किया गया था और इससे वहां हिंदुओं को निशाना बनाया गया. बसु ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि यदि आप बांग्लादेश में हिंसा के तौर-तरीकों को देखें, तो आप समझेंगे कि घटना के पीछे का कारण पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा है. हिंदू बंगालियों पर हमले ने एक संदेश दिया कि हिंदू हार गए हैं और इसने सीमा के दूसरी ओर कट्टरपंथियों को वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले करने के लिए प्रोत्साहित किया.
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Police पर भी उठाए सवाल
ढाका से लगभग 100 किलोमीटर दूर कुमिला में एक दुर्गा पूजा मंडप में कथित ईशनिंदा की घटना को लेकर बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद कई प्रभावित क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़. हिंदू मंदिरों और दुर्गा पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की घटना से संबंधित जानकारी सामने आने के बाद पुलिस और कट्टरपंथियों के बीच छिटपुट झड़पें हुईं, जिनमें कम-से-कम पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बसु ने कहा कि बांग्लादेश में हमने देखा है कि पुलिस ने कम-से-कम कुछ कार्रवाई की है, दंगाइयों को गोली मारी है. लेकिन पश्चिम बंगाल में पुलिस निष्क्रिय है.
अब खामोश क्यों हैं बुद्धिजीवी?
बसु ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को लेकर बंगाल के बुद्धिजीवियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) का विरोध किया था, वे अब चुप हो गए हैं. वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों पर पूरी तरह चुप्पी बनाए हुए हैं. जो लोग राजनीतिक कारणों से सीएए का विरोध करते हैं, वे बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के बारे में नहीं सोचते हैं.
‘केंद्र और राज्य दोनों उठाएं आवाज’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार दोनों को आधिकारिक तौर पर हिंदुओं पर हमले के खिलाफ बोलना चाहिए? बसु ने कहा, ‘हां, उन्हें ऐसा करना चाहिए. बहुत-सी चीजों पर विचार किया जाता है, जैसे राजनयिक संबंध और बांग्लादेश में वर्तमान सरकार. लेकिन इससे पहले, समाज को बोलने की जरूरत है. क्यूबा और निकारागुआ की घटनाओं से ग्रस्त वामपंथी बुद्धिजीवियों को भी बांग्लादेश में अपने साथी भाइयों के बारे में सोचना चाहिए. उन हमलों के खिलाफ बोलने में कुछ भी सांप्रदायिक नहीं है.