S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि ‘नेहरू विकास मॉडल’ से अनिवार्य रूप से ‘नेहरू विदेश नीति’ पैदा होती है और 'हम विदेशों में इसे सुधारना चाहते हैं, ठीक उसी तरह जैसे घरेलू स्तर पर इस मॉडल के नतीजों को सुधारने की कोशिश की जा रही है.' नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की पुस्तक ‘द नेहरू डेवलपमेंट मॉडल’ के विमोचन मौके पर ऑनलाइन संबोधन में जयशंकर ने यह भी कहा कि लेखक का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विकल्पों ने भारत को एक 'नियतिवादी मार्ग' पर मोड़ दिया. 


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केंद्रीय मंत्री ने कहा,'यह मॉडल और इसके साथ जुड़ा विमर्श हमारी राजनीति, नौकरशाही, निश्चित रूप से प्लानिंग सिस्टम, न्यायपालिका, मीडिया समेत सार्वजनिक क्षेत्र और सबसे बढ़कर शिक्षण में प्रभावित है. जयशंकर ने आगे कहा कि आज रूस और चीन दोनों ही उस अवधि की आर्थिक मान्यताओं को 'स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं', जिसका प्रचार करने में उन्होंने किसी और से ज्यादा काम किया, फिर भी, ये मान्यताएं आज भी देश के प्रभावशाली वर्गों में जीवित दिखाई देती हैं. 


इस मौके पर जयशंकर ने अमेरिकी नीति निर्माता जॉन फोस्टर डलेस का 1947 के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वे समय की सरकार को वह अधिक गलत नहीं कर सकते थे, लेकिन यह एक दावा था जिसे दशकों तक अमेरिकी नीति निर्माताओं ने सही माना. उन्होंने कहा कि मैंने कई बार खुद से पूछा कि क्या डलेस पूरी तरह से गलत थे. पनगढ़िया की किताब में उन्हें इसका उत्तर मिला.


इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने पिछले 33 वर्षों में खुलेपन का फायदा उठाया है लेकिन आज के हालात पहले से बहुत मुश्किल हैं. उन्होंने कहा कि सावधानी से खुलापन एक अच्छा तरीका हो सकता है. 


जयशंकर ने कहा,'निश्चित रूप से 2014 के बाद, इसमें सुधार की दिशा में जोरदार प्रयास हुए हैं, लेकिन लेखक अच्छे कारणों से यह दावा करता है कि यह अभी भी एक मुश्किल काम है.' 


(इनपुट- भाषा)