S Jaishankar News: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ किया कि भारत के लिए अमेरिका और कनाडा एक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कनाडा अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अलगाववाद, आतंकवाद और चरमपंथ को जायज ठहराता है, अमेरिका ऐसा नहीं करता. जयशंकर ने 'टाइम्‍स ऑफ इंडिया' को दिए इंटरव्यू में कहा कि वे अमेरिका और कनाडा को एक टोकरी में नहीं रखते. उन्होंने कहा कि 'अमेरिका को लगा कि कोई मसला है, अब उनकी बात सही है कि या नहीं यह अदालत तय करेगी, वे हमारे पास आए और कहा कि देखिए हमारी ये परेशानियां हैं और हम आपको बता रहे हैं. हम चाहेंगे कि आप पता लगाएं कि क्या हो रहा है. कनाडा ने ऐसा नहीं किया.' विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका, कनाडा की तरह अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अलगाववादी, आतंकवादी, कट्टरपंथी गतिविधियों को सही नहीं ठहराता.


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जयशंकर ने बतौर डिप्‍लोमेट अमेरिका में बिताए दिन याद करते हुए भारत संग रिश्तों में आए फर्क को समझाया. बकौल जयशंकर, 'पहले भारत के साथ सहयोग को लेकर अमेरिका उतना उत्साहित नहीं दिखता था. 2023 आते-आते काफी कुछ बदल गया है. मैं कहूंगा कि अमेरिकन सिस्टम के जो हिस्से भारत को लेकर बड़ी उलझन में थे, वे भी साथ आ गए हैं.'


'कनाडा के मुकाबले अमेरिका का रुख कड़ा'


विदेश मंत्री ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर अमेरिका और कनाडा के रुख में फर्क है. उन्होंने कहा, 'हमने कनाडा के मुकाबले अमेरिका को ऐसे मामलों में कहीं ज्यादा कड़ा रुख अपनाते देखा है. कई ने कई मौकों पर, बेहद खुलकर हमारी घरेलू राजनीति में दखलअंदाजी की है. हम सभी को पंजाब की घटनाएं याद हैं. मुझे लगता है कि सिर्फ कनाडाई पीएम (जस्टिन ट्रूडो) ही दुनिया के इकलौते प्रधानमंत्री होंगे जिन्‍होंने सार्वजनिक रूप से उस पर टिप्पणी की थी. मैं कहूंगा कि दोनों बेहद अलग हैं और उन्हें मिक्स नहीं करना चाहिए.'


जयशंकर ने भारत की कूटनीति में आए बदलाव पर भी बात की. उन्होंने कहा कि दुनिया समझती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला भारत वह भारत नहीं है जिससे पहले उनका पाला पड़ता था. पॉलिसी में भी बदलाव आया है और एटीट्यूड में भी. विदेश मंत्री ने कहा, 'अगर मतभेद हों तो अच्‍छी कूटनीति यह नहीं होती कि आप हाई पोजिशन लें, अपना ढिंढोरा पीटें और आगे बढ़ जाएं. आपको हर मुद्दे के हिसाब से पिक और चूक करना होता है. मगर जब बात क्षेत्रीय संप्रभुता और एकता जैसे कोर मुद्दों की होती है तो हमें एक स्‍टैंड लेने के लिए तैयार रहना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं करते तो इशारा दे रहे होते हैं कि आप सहने को तैयार हैं.'


'चीन के साथ सीमा का मसला साइड कैसे कर दें?'


चीन के साथ सीमा पर तनाव के मसले पर जयशंकर ने कहा कि 'सरकार बहुत यथार्थवादी और स्पष्टवादी है.' विदेश मंत्री ने कहा, 'यह बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है. सीमा मुद्दे से परे, यह इस बारे में भी है कि भारत को एक रणनीतिक इकाई के रूप में कैसे माना जाता है. और हमें लगता है कि शांति और शांति बनाए रखना ही वह आधार था जिस पर संबंध आगे बढ़े थे. यदि आपने इसे डिस्‍टर्ब कर दिया है, तो अब आप कैसे कह सकते हैं कि हम बाकी रिश्ते को आगे बढ़ा सकते हैं... इसको आप साइड कर दीजिए?