तिरुवनंतपुरम: केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ में शामिल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने बुधवार को स्वीकार किया कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मसले का चुनाव पर ‘बहुत बड़ा असर’ पड़ा है. एलडीएफ राज्य में केवल एक ही सीट पर जीत हासिल कर सका है.


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पार्टी की केंद्रीय समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. इसपर राज्य समिति की रविवार और सोमवार को हुई दो दिवसीय बैठक के दौरान चर्चा हुई. इसके कुछ अंश बुधवार को पार्टी के मुखपत्र ‘देशभिमानी’ में प्रकाशित हुए.


इसमें कहा गया है कि सबरीमाला में महिलाओें के प्रवेश के मसले को विपक्षी और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और बीजेपी ने चुनावी अभियान में खूब भुनाया और पार्टी के ‘समर्थकों’ के मध्य एक ‘बड़ा असर’ पड़ा.


'सीपीएम लोगों की नब्ज पकड़ने में नाकामयाब रही'
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीपीएम लोगों की नब्ज पकड़ने में नाकामयाब रही और यह उसकी ‘गंभीर’ गलती थी.  रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी युवाओं को अपनी ओर खींच नहीं सकी और वह बीजेपी की तरह सोशल मीडिया के इस्तेमाल करना चाहती है. 


यह पहली बार है जब सीपीएम ने यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि करीब चालीस साल की दो महिलाओं के दो जनवरी को भगवान अयप्पा के दर्शन की घटना ने वाममोर्चे की हार में योगदान दिया है.


इससे पहले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश लोकसभा चुनाव में वाममोर्चे की करारी हार की वजह नहीं है और लोगों ने विपक्षी कांग्रेस को इस उम्मीद में वोट दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि वे (कांग्रेस) केंद्र में आ रहे हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने 28 दिसंबर को सुनाया था फैसला
उच्चतम न्यायालय ने बीते साल 28 सितम्बर को दिए फैसले में सबरीमाला के भगवान अयप्पा के मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी थी. इससे पूर्व रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी.