Kashmir saffron Production: यह एक दशक के बाद है कि कश्मीर के केसर किसान इस साल केसर की पैदावार से खुश हैं. किसान इसे बंपर फसल बता रहे हैं क्योंकि उत्पादन पिछले दस साल के रिकार्ड को पार कर गया है. घाटी में केसर के खेत बैंगनी रंग में बदल गए हैं और यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों की आंखों के लिए भी एक सुखद अनुभव हैं. 


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पंपोर में होती है सबसे ज्यादा खेती


दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में पंपोर को केसर शहर के रूप में जाना जाता है. यहां केसर का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. इस इलाके में हजारों परिवार दुनिया के सबसे अच्छे और सबसे महंगे मसाले की खेती करते हैं. ये सभी परिवार इन दिनों खेतों से केसर के फूल तोड़ने में व्यस्त हैं. 


किसानों के चेहरे खिले


कश्मीर में केसर की खेती 3500 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर की जाती है. पुलवामा में पंपोर क्षेत्र केसर की खेती का मुख्य केंद्र है. हालांकि अब इसकी खेती कश्मीर घाटी के विभिन्न जिलों में भी की जा रही है. वहीं, पंपोर में किसान इस साल की फसल से बेहद खुश हैं.


10 साल बाद बंपर फसल


परीमहल केसर के मालिक डॉ. उबैद बशीर ने कहा कि 8-10 साल से अधिक समय के बाद बंपर फसल हुई है. हमने इतने सालों में इस तरह की फसल नहीं देखी. बहुत से किसानों को उम्मीद नहीं थी कि फसल पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर होगी. लेकिन इसने हमारी सभी अपेक्षाओं को पार कर लिया है. केसर क्षेत्र में रहने वाले हम सभी के लिए आजीविका है. केसर की बंपर पैदावार में बारिश ने प्रमुख भूमिका निभाई है.


पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र


पर्यटक घाटी में केसर की खेती का आनंद ले रहे हैं. बड़ी संख्या में पर्यटक इन खेतों से केसर भी खरीद रहे हैं. पर्यटक संदीप ने कहा, "यह हमारे लिए बहुत अच्छा अनुभव है. हमने हमेशा केसर का सेवन किया है लेकिन अब हम जानते हैं कि यह इतना महंगा क्यों है. केसर को उगाने में बहुत मेहनत लगती है. यह एक फूल है और इसमें से केवल कुछ ही रेशे निकलते हैं."


पिछले नुकसानों की भरपाई


पर्यटक घाटी में केसर उगाने वाले किसानों की सराहना कर रहे हैं. केसर के इन खेतों को देखना उनके लिए अनोखा अनुभव है. एक पर्यटक हेतल ने कहा, "हमारे सभी त्योहारों, विशेष रूप से दिवाला में केसर का बहुत अधिक उपयोग होता है. हम रोजाना कश्मीरी केसर का उपयोग करते हैं, विशेष रूप से अपने बच्चों के लिए दूध में डालते हैं. हम आज खेतों को देखकर बहुत खुश हैं और यह एक अनूठा अनुभव है."  जीआई टैग से केसर किसानों को गुणवत्ता नियंत्रण के साथ-साथ मूल्य निर्धारण में भी लाभ हुआ है. कश्मीर के केसर किसानों को उम्मीद थी कि इस वर्ष पिछले सारे नुकसानों की भरपाई होगी.