Sam Pitroda: पित्रोदा पर कांग्रेस का `यू-टर्न`, राजीव से राहुल गांधी तक सैम पित्रोदा कांग्रेस के लिए इतने जरूरी क्यों हैं?
Sam Pitroda news: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सैम पित्रोदा को एक बार फिर ओवरसीज कांग्रेस का प्रमुख नियुक्त किया है. 8 मई को इस्तीफा और करीब 50 दिन बाद 26 जून को पद पर बहाली. यानी पित्रोदा कांग्रेस की जरूरत या मजबूरी आइए जानते हैं.
Sam Pitroda and Congress: चुनावी सीजन हो या ना हो, अक्सर विवादित बयानों की झड़ी लगा देने वाले सैम पित्रोदा को कांग्रेस ने फिर ओवससीज कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने सैम पित्रोदा को एक बार फिर ओवरसीज कांग्रेस की कमान (Sam Pitroda Overseas Congress chairman) सौंप दी तो लोग उनके बारे में गूगल करने लगे कि आखिर उन्हें क्यों रिपीट किया गया? जबकि सैम पित्रोदा लोकसभा चुनावों के दौरान विरासत टैक्स और नस्लीय टिप्पणी को लेकर बीजेपी के निशाने पर थे. सैम पित्रोदा ने चुनाव के दौरान भारतीयों को लेकर नस्लीय टिप्पणी की थी. विवाद बढ़ता देख उन्होंने तुरंत ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. अब फिर से उन्हें ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है. आखिर इसकी वजह क्या है, आइए बताते हैं.
2024 में कमाल हो गया?
सियासी जानकारों के मुताबिक ये शायद पहला मौका रहा होगा जब सैम पित्रोदा ने कुछ कहा और उनके बयान ने नतीजों के रूप में पॉलिटिकली बैकफायर नहीं किया. हालांकि 2024 के चुनाव से पहले उन्होंने 'विरासत टैक्स' (Inheritance tax) का मुद्दा उठाया तो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने उसे लपकते हुए कांग्रेस को जिस तरह घेरा और जब चार जून को नतीजे आए तब ये माना गया कि उनके बयान से कतई नुकसान नहीं हुआ.
हालांकि पित्रोदा का विरासत टैक्स वाला बयान जिसकी वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा वो प्राइमाफेसी कांग्रेस नेताओं के गले की फांस बना लेकिन उसने न तो कोई बड़ा डैमेज किया और बड़े आराम से निकल गया.
उसके बाद पित्रोदा ने रंग-रूप को लेकर एक इंटरव्यू में विवादित बयान देते हुए कहा- 'हमारे देश में पूर्वोत्तर के लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम के अरब जैसे और दक्षिण के अफ्रीकी जैसे, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम भाई-बहन की तरह रहते हैं.' बीजेपी ने पित्रोदा के इस बयान को भी मुद्दा बनाया लेकिन असम हो या तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल में कांग्रेस और इंडिया अलायंस को कोई खास नुकसान नहीं हुआ.
2024 में BJP ने असम की 14 में से 9 सीटें जीतीं. कांग्रेस ने 3 सीटों पर संतोष किया. UPPL और AGP 1-1 सीट मिली. 2019 में भी BJP ने असम की 14 में से 9 सीटें जीती थीं, तब भी कांग्रेस को 3 सीटें मिली थीं. 2014 के लोकसभा चुनाव में, BJP ने 14 लोकसभा सीटों में से 7 सीटें जीती थीं कांग्रेस की सुई तब भी 3 सीट पर अटकी थी. नागालैंड में 2024 में कांग्रेस ने 1 सीट जीती. मणिपुर की 2 की दोनों सीटें कांग्रेस ने जीतीं. मेघालय की 2 में से कांग्रेस 1 सीट जीती. कुल मिलाकर नॉर्थ-ईस्ट से लेकर साउथ इंडिया तक सैम पित्रोदा के इस बयान ने भी नतीजों के रूप में कोई नुकसान नहीं किया.
पित्रोदा के बुने जाल में फंसी BJP?
कांग्रेस के जिन नेताओं की बयानबाजी और बड़बोलेपन को बीजेपी अपने मन मुताफिक कैश करा लेती थी वो इस बार नहीं हुआ. बीजेपी के सभी नेताओं का लगातार यह कहना कि अगर कांग्रेस वाले सत्ता में आ गए तो मंगलसूत्र, घर, जमीन और आपकी सब संपत्ति दूसरे समुदाय के लोगों को बांट देंगे. ऐसी हवा बनाने का फायदा भी BJP को न मिला. मानो इस बार पित्रोदा से पहला ओवर फिंकवा कर कांग्रेस ने बीजेपी को अपनी पिच पर खेलने को मजबूर कर दिया.
8 मई, 2024 को इस्तीफा और 4 जून, 2024 को जब नतीजे आए तो 26 दिनों में कांग्रेस 2019 के चुनावी नतीजों की तुलना में 48 से 99 यानी करीब डबल हो गई. इसी गणित से इस्तीफे के करीब 50 दिन के अंदर 26 जून को ओवरसीज कांग्रेस के मुखिया के पद पर उनकी बहाली हो गई.
कब-कब विवादों में रहे पित्रोदा?
साल 2018 - राम मंदिर पर कहा - 'मंदिर से रोजगार नहीं मिलेगा'.
साल 2019 - सिख विरोधी दंगों पर बोले थे- 'हुआ तो हुआ'.
साल 2019 - पुलवामा हमले पर ये बोले थे- 'पुलवामा जैसे हमले होते रहते हैं'.
साल 2023 - राम मंदिर पर कहा - 'मंदिरों से समस्याओं का हल नहीं होगा'.
साल 2023 - मिडिल क्लास पर कहा- 'मिडिल क्लास स्वार्थी नहीं बने'.
साल 2024 - विरासत टैक्स पर कहा - 'धन का बंटवारा बेहतर होगा'.
इंदिरा गांधी के कहने पर भारत लौटे- राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी तक जलवा
शिकागो के इलिनोइस में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं. OBC वर्ग से आने वाले पित्रोदा का जन्म ओडिशा में हुआ था. महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित उनकी फैमिली ओडिशा से गुजरात बस गई थी. 4 मई 1942 को ओड़िशा के तितलागढ़ में जन्में पित्रोदा 1966 में शिकागो गए. हैंड-हेल्ड कंप्यूटिंग के अगुआ पित्रोदा साल 1965 में टेलीकॉम इंडस्ट्री से जुड़े. 1975 में इलेक्ट्रॉनिक डायरी का आविष्कार किया. जो उनका पहला पेटेंट था. पित्रोदा अबतक 100 से ज्यादा पेटेंट हासिल कर चुके हैं.
कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी में अपना भविष्य देख रही है. ऐसे में समझा जा सकता है कि न सिर्फ इंदिरा गांधी बल्कि राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल के बाद अब कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी का सहयोग करने के लिए भी सैम पित्रोदा को जरूरी मान रही है.
बीते सात दशकों की बात करें तो कांग्रेस पार्टी में पित्रोदा की पूछ हमेशा से रही है. 1984 में तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम पित्रोदा को भारत लौटने को कहा. इंदिरा गांधी के कहने पर वो भारत लौटे. भारत की नागरिकता लेने के लिए उन्होंने अपनी अमेरिकी नागरिकता छोड़ दी थी.
1990 के दशक में फिर गए और 2004 में लौटे
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, तो पित्रोदा उनके सलाहकार बन गए. 1987 में राजीव गांधी ने उन्हें टेलीकॉम, वॉटर, शिक्षा और डेयरी समेत छह टेक्नोलॉजी मिशन का हेड बनाया. 1990 के दशक में अमेरिका लौट गए.
2004 में जब कांग्रेस की अगुवाई में UPA सरकार बनी, तो तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने पित्रोदा को नेशनल नॉलेज कमीशन का अध्यक्ष बनाया. दोबारा भारत लौटकर वो 2005 से 2009 तक नेशनल नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष रहे. 2009 के चुनाव के बाद UPA-2 के दौरान 2009 में पीएम मनमोहन सिंह के सलाहकार नियुक्त हुए. उसके बाद फिर अमेरिका लौट गए.
पित्रोदा की प्रोफाइल- मजबूरी नहीं जरूरी
सैम पित्रोदा एक कामयाब कारोबारी हैं. उन्हें अच्छा फंड रेजिंग मैनेजर भी माना जाता है. उनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा वडोदरा में हुई फिर उन्होंने शिकागो से पढ़ाई की और अमेरिका में बस गए. सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है. उनकी वेबसाइट पर मौजूद विभिन्न अवॉर्ड्स में उनका नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा लिखा है. वो 5 किताबें लिख चुके हैं और दुनियाभर के शैक्षणिक संस्थानों में उनके गेस्ट लेक्चर होते रहते हैं.
ओवरसीज कांग्रेस ने बताया सच्चा गांधीवादी
सैम पित्रोदा को फिर से इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ ने कहा, 'सैम भारत में संचार क्रांति के जनक रहे हैं, बीजेपी ने चुनावी लाभ के लिए उनके बयानों को गलत तरीके से पेश किया. कांग्रेस नेतृत्व ने सैम पित्रोदा को एक बार फिर ओवरसीज कांग्रेस की कमान देने से प्रवासी भारतीय बहुत खुश होंगे, क्यूंकि वो सच्चे और पक्के गांधीवादी हैं.'